हेमंत शर्मा, इंदौर। एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से देश जंग लड़ रहा है, कोरोना की मार से उबरने के लिए देश के लगभग हर राज्य में लॉकडाउन लगा है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के त्राहिमाम के बावजूद अन्नदाता कड़ी मेहनत करके देश का पेट भरने के लिए फसल उगा रहा है, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की दोहरी मार से किसानों को कमर टूट गई है. खेतों में तैयार सब्जियों के उचित दाम या फिर न बिकने के चलते अब किसानों को अपनी फसल खेतों में नष्ट करने के मजबूर हैं. ऐसे ही एक किसान मध्य प्रदेश के इंदौर में अपनी 4 लाख की फसल पर टैक्टर चलाना पड़ा.
दरअसल शहर के गौतमपुरा इलाके के रहने वाले किसान महेश भूत ने मार्च में अपने खेत में लौकी की फसल लगाने की शुरुआत की थी. किसान को उम्मीद थी कि आने वाले दिनों में फसल तैयार होने पर उसे अच्छा मुनाफा मिलेगा, लेकिन फसल की बोवनी के कुछ दिनों बाद ही लॉकडाउन लग गया. इस दौरान जब तक किसान की फसल तैयार होती, तब तक शहर में मंडिया भी बंद हो गईं. बावजूद इसके किसान महेश ने दो बार लौकी को बेचने के लिए इंदौर पहुंचाने के प्रयास भी किए, लेकिन लौकी नहीं बिकी. जिसके चलते उन्हें अपनी 4 लाख रूपए की लौकी की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट करना पड़ा.
मुफ्त में बांटी लौकी
बता दें कि महेश भूत ने लौकी को लोगों में मुफ्त में भी बांटी, साथ ही उन्होंने गांव में भी मुफ्त में लौकी देने के लिए घर-घर संदेश पहुंचाया. हालांकि गांव वालों के कुछ सब्जी ले जाने के बावजूद भी खेतों में लौकी की भरमार लगी हुई थी. महेश ने बताया कि खेत को खाली करने जरूरी था, क्योंकि आगे सोयाबीन की फसल तैयार करना था, जिसके चलते मजबूरी में लौकी को नष्ट करना पड़ा. उन्होंने बताया कि फसल को लगवाने में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा रूपए खर्च हुआ था. इसके बाद तकरीबन चार लाख का मुनाफा होने की उम्मीद थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण पूरी फसल किसी काम की नहीं रही.
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