Parliament Monsoon Session : मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामें के चलते संसद का मूल्यवान समय बर्बाद हो गया. लोकसभा में सांसदों को 120 घंटे काम करना था, लेकिन केवल 37 घंटे ही काम हुआ और बाकी के 83 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए. यही हाल राज्यसभा का भी रहा, जहां 120 घंटे की बजाय सिर्फ 47 घंटे काम हुआ और 73 घंटे बेकार गए. कुल मिलाकर, सांसदों ने देशहित की बजाय अपनी राजनीति में अधिक समय गंवा दिया.
जनता के कितने रुपए हुए बर्बाद?
लोकसभा में 83 घंटे काम नहीं हुआ, जिससे लगभग 124 करोड़ 50 लाख रुपये जनता के पैसे बर्बाद हो गए. वहीं राज्यसभा में 73 घंटे की बर्बादी से करीब 80 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. यानी दोनों सदनों में मिलाकर कुल 204 करोड़ 50 लाख रुपये बर्बाद हो गए. यह पैसा जनता के काम पर खर्च हो सकता था, लेकिन हंगामे और राजनीति की वजह से बर्बाद हो गया.
हंगामे के बीच मानसून सत्र समाप्ति पर क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र में कामकाज सही तरीके से न होने पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के युवा और प्रतिभाशाली सांसद अपने नेतृत्व की असुरक्षा के कारण चर्चाओं में भाग नहीं ले पाते. सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने यह बात लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कक्ष में हुई एक अनौपचारिक बैठक में कही, जिसमें विभिन्न दलों के नेताओं को बुलाया गया था. यह बैठक लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद हुई. हालांकि, विपक्षी दलों के नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
कांग्रेस ने सरकार पर फोड़ा ठीकरा
कांग्रेस ने संसद के मॉनसून सत्र में गतिरोध बने रहने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि गृह मंत्री अमित शाह ने ‘‘वोट चोरी’’ जैसे कुछ प्रमुख मुद्दों से ध्यान भटकाने के मकसद से ‘‘वेपन ऑफ मास डिस्ट्रैक्शन’’ (जनता का ध्यान भटकाने के हथियार) के रूप में तीन विधेयक पेश किए. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद यह भी कहा कि विपक्ष के बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार अड़ी रही और उसने चुनाव प्रक्रिया को लेकर सदन में चर्चा नहीं कराई.
93% सांसद करोड़पति
संसद में बैठने वाले 93% सांसद करोड़पति हैं. जिन्हें अभी एक लाख 24 हजार रुपए हर महीने वेतन मिलता है. संसदीय क्षेत्र भत्ता 84 हजार रुपए होता है. दैनिक भत्ता सांसदों का 2500 रुपए है. वेतन भत्ता जोड़कर हर सांसद को हर महीने दो लाख 54 हजार रुपए जनता के पैसे से दिया जाता है.
‘सांसदों की सैलरी से हो भरपाई’
केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने बैनर लेकर संसद भवन परिसर में प्रोटेस्ट किया. उन्होंने कहा कि सदन न चलने पर सांसदों का वेतन और अन्य लाभ रोके जाएं.
उमेश पटेल ने कहा कि अगर सदन की कार्यवाही नहीं होती है, तो इसके खर्च का पैसा सांसदों की सैलरी से काटा जाना चाहिए. उमेश पटेल बैनर लेकर पहुंचे थे, जिस पर लिखा था – “माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो”. उन्होंने सरकार से मांग की कि सदन न चलने पर सांसदों को वेतन और अन्य लाभ न मिलें. उन्होंने यह भी कहा कि इस सत्र में सदन पर जो खर्च हुआ, वह सांसदों की जेब से वसूल किया जाना चाहिए, क्योंकि जब सदन ही नहीं चला, तो जनता क्यों इस खर्च का भुगतान करे.
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