सुधीर सिंह राजपूत, मिर्जापुर. कानून व्यवस्था रईसों के लिए मात्र एक किताबी जैसी कोई चीज हैं. जिसे रईस अपने मनमाफिक खरीदते रहते हैं. जिन्हें कानून का कोई डर नहीं हैं. उपर से जिम्मेदार जिनके ऊपर कानून लागू करने का भार है, वो भी मुंह फेर लेते हैं. जिससे गरीब पीड़ित कोर्ट और थाने के चक्कर काटते-काटते चकरघिन्नी बनकर रह जाते हैं. ऐसा ही कुछ मामला विंध्याचल थाना क्षेत्र से सामन आया है.

पीड़ित अमरनाथ ने पुलिस उच्चाधिकारियों से प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई थी कि उनका बेटा अमरदीप (22 वर्ष), मुमताज नाम के व्यापारी के यहां गाड़ी चलाने का काम करता था. मुमताज का धंधा पुराने कनस्तरों (टीना) को ठीक करके सगरा, विंध्याचल स्थित गोदाम में रखने का था. जहां उनका बेटा अमरदीप कनस्तरों को मुमताज के साथ जाकर सप्लाई करता था. आरोप है कि अनुसूचित जाति से होने के नाते मालिक मुमताज टॉर्चर भी किया करता था. जातिसूचक शब्दों का उपयोग कर जलील भी करता था. मालिक के टॉर्चर करने की बात को अमरदीप ने फोन के माध्यम से अपनी मां को बताते हुए, काम छोड़ने का जिक्र भी किया था. जिस पर मुमताज ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी.
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इन सबके पशोपेश में 4 अक्टूबर 2024 को मुमताज ने अमरदीप को बुलाया तो अमरदीप ने अपनी मां को बताया था. उसी शाम को पांच बजे मुमताज ने अमरदीप के आत्महत्या की बात बताई. बेटे के आत्महत्या की बात सुनते ही परिजन फौरन वहां पहुंचे तो देखा कि बेटे अमरदीप की लाश को जमीन पर लिटाया गया है. मृत अमरदीप के शरीर पर कई अनगिनत चोटे भी थी. मौके पर पेंट गिरा मिला अमरदीप के हाथ और चेहरे और शरीर पर भी पेंट लगा हुआ था. जिससे मामला पूरी तरह से संदिग्ध प्रतीत हो रहा था. इधर पुलिस और गोदाम मालिक लाश को जल्द से जल्द हटाने में जुटे हुए थे.
परिजनों के मुताबिक वहां मौजूद दरोगा से कहा गया कि उनके बेटे अमरदीप की हत्या हुई है. लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था. उसी बीच पता नहीं कब मृतक के पिता से लोगों ने दस्तखत करा लिया. आनन-फानन में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तैयार की गई. जो कि पूरी तरह से फर्जी थी. बेटे के मोबाइल और लाइसेंस को भी अभी तक पुलिस ने परिजनों को नहीं सौंपा है.
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परिजनों का कहना है कि हम गरीब हैं, जबकि मुमताज के पास काफी संपत्ति है, इसलिए मुमताज ने अपने पैसों से जिम्मेदारों को खरीद लिया है. परिजनों का आरोप है कि उच्चाधिकारीयों के यहां गुहार करने पर काफी समय बीतने के बाद विंध्याचल कोतवाली पुलिस ने किसी तरह रिपोर्ट तो दर्ज कर ली, लेकिन विंध्याचल पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है. उल्टा उन्हें संरक्षण देने में जुटी हुई है. पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि चूंकि हम गरीब दलित हैं इसलिए हम लोगों की सुनवाई नहीं हो पा रही है.
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