कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। कोरोना से बचाव के लिए मात्र एक उपाय वैक्सीनेशन है। जिसके चलते मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 72 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लग पाई है, जबकि इंदौर में शत-प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। अभी तक जिले में 11 लाख 37 हजार लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं।

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शासन की ओर से ग्वालियर प्रशासन से जवाब मांगा है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इमरजेंसी बैठक बुलाई और सभी अधिकारियों को सख्त लहजे में बोल दिया है कि अब अगले 10 दिन जिले में सिर्फ एक ही काम होगा, वह है वैक्सीनेशन। इमरजेंसी कार्यों को छोड़ दें तो अन्य कोई भी दूसरा काम प्राथमिकता में नहीं रहेगा। अगले 10 दिन वैक्सीन लगाने के लिए ग्राउंड पर काम करने वाले स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग और जिला प्रशासन के कर्मचारी घर नहीं जाएंगे।

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कलेक्टर ने सीएमएचओ को निर्देश दिए हैं कि अगले 10 दिन तक वैक्सीनेशन सेंटर पर काम करने वाले स्टाफ को पास के ही होटल, धर्मशाला में रुकवाने और भोजन की व्यवस्था कराएंगे। सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्र में है। यहां अब तक सिर्फ 43 ग्राम पंचायतों में ही शत प्रतिशत वैक्सीनेशन हुआ है। 212 ग्राम पंचायतें वैक्सीनेशन के मामले काफी पिछड़ी हैं। इनमें रहने वाले तकरीबन 1 लाख लोगों को अब अगले 10 दिन में वैक्सीन लगाई जाएगी।

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जिला पंचायत सीईओ किशोर कान्याल को जिम्मेदारी दी गई है और शहरी क्षेत्र की तरह ही डोर टू डोर सर्वे, मैन टू मैन मार्किंग, मतदाता सूची से क्रॉस चेक किए जाएंगे। जनपद सीईओ, पंचायत सचिव, सरपंच यहां वहीं भूमिका निभाएंगे जो शहरी क्षेत्र में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निभाएंगे। आपको बता दें कि अभी तक जिले में 11 लाख 37 हजार लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं। इन्हीं में से 4 लाख ऐसे लोग हैं जिनको वैक्सीन के दोनों डोज लगे हैं। लेकिन अभी भी लगभग 4 लाख 93 हजार लोग ऐसे हैं, जिनको वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगा है। अगले 10 दिन ये लोग प्रशासन के टारगेट पर रहेंगे।