रायपुर. अशून्य शयन व्रत का वर्णन भविष्य पुराण में की गई है. इस व्रत का अनुष्ठान मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि और मार्गशीर्ष मास की द्वितीया तिथि को किया जाता है. इस व्रत को करने से स्त्री वैधव्य और पुरुष विधुर होने के पाप से मुक्त हो जाता है. यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला तथा मोक्ष प्रदाता है.

अशून्य शयन व्रत में लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की मूर्ति को विशिष्ट शय्या पर अधोस्थापित कर अनेक उपचारों द्वारा उनका पूजन करना चाहिए. व्रती को चाहिए कि द्वितीया को प्रातः स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत्त हो विधिवत संकल्प लेकर श्रीवत्सचिह्न युक्त चार भुजाओं से विभूषित, शेष शय्या पर स्थित लक्ष्मी सहित भगवान का षोडशोपचार पूजन करें. दिन भर मौन रहे, व्रत रखे और सायंकाल पुनः स्नान करके भगवान् का शयनोत्सव मनाए. फिर चंद्रोदय होने पर अर्घ्य पात्र में जल, फल, पुष्प और गंधाक्षत रखकर भगवान को अर्घ्य देकर धूप दीप दिखाकर निम्न मंत्र का जाप करें.

– ॐ विष्णुदेवाय नमः
– ॐ महालक्ष्मयै नमः

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तद्पश्चात भगवान को प्रणाम करके ऋतु में होने वाले मीठे फल सदाचारी ब्राह्मण को दक्षिणा सहित दे, भोजन करें. उक्त विधान के साथ जो व्यक्ति व्रत के नियमों का पालन करता है, उसे कभी स्त्री-वियोग नहीं होता और लक्ष्मी उसका साथ नहीं छोड़ती. जो स्त्री भक्तिपूर्वक इस व्रत का अनुष्ठान करती है, वह तीन जन्मों तक न तो विधवा होती है और न दुर्भाग्य का सामना करती है. यह अशून्य शयन व्रत सभी कामनाओं की पूर्ति और उत्तम भोगों को प्रदान करने वाला है.

अशून्य शयन द्वितीया व्रत मुहूर्त

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 22 सितंबर 2021 को सुबह 05:52 AM पर हुआ है, जो कि 23 सितंबर 2021 को सुबह 06:54 AM तक है. ऐसे में अशून्य शयन द्वितीया व्रत आज 22 सितंबर को रखा गया है. आज का राहुकाल पूर्वाहन 11:53 बजे से अपराह्न 13:24 बजे तक है.

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अशून्य शयन व्रत का महत्व

धार्मिक अम्न्यता है कि इस व्रत को करने से पत्नी दीर्घायु होती है. दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है तथा दांपत्य जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. जीवन साथ का सहयोग हमेशा बना रहता है. वैवाहिक जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. पति और पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है.