न्यामुद्दिन, अनूपपुर। बदलते समय के साथ महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा दिया जाना चाहिए। इसी मकसद से सरकार उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए केंद्र समेत राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही है। इसी तरह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिला स्व सहायता के माध्यम से धान खरीदी किया जा रहा है। ऐसा ही अनुपपुर जिले में भी कई महिला स्व सहायता समूह द्वारा धान खरीदी का काम किया जा रहा है, लेकिन एक बड़ी विडंबना देखने को मिली है। महिला समूह में महिलाओं की जगह पुरुष काम करते नजर आ रहे है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में महिलाए कैसे आत्मनिर्भर बनेंगी।

अनूपपुर जिले के पांच धान उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूह को दी गई है। धान खरीदी केंद्र समूह को प्रदायक करने के पीछे प्रशासन की यह मंशा है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने किंतु अनूपपुर जिले के अंतर्गत एक या दो धान खरीदी केंद्रों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी धान खरीदी केंद्रों में महिलाओं के स्थान पर पुरुष ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कहीं अध्यक्ष के पति कार्यभार देख रहे हैं तो कहीं सचिव के पुत्र। ऐसे में सरकार की मंशा पर पलीता लग रहा है। महिलाओं को आगे बढ़ाने एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार का यह प्रयास था, लेकिन जब महिलाओं के स्थान पर पुरुष ही कार्य करेंगे तो महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बन पाएंगी।

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जिन-जिन स्थानों में महिला स्व सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई है वहां एक दर्जन महिलाओं का स्व सहायता समूह बनाया गया है। जिसमें अध्यक्ष, सचिव के अलावा बाकी सभी सदस्य महिलाएं हैं लेकिन खरीदी केंद्रों में महिलाएं कार्य न करते हुए घरों में रसोई का काम ही संभाल रही है। अध्यक्ष सचिव के पति तो कही पर पुत्र खरीदी केंद्र का कार्यभार संभाल रहे है। यही कारण है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने एवं स्वावलंबी बनाने का प्रयास अधर में अटकता चला जा रहा है।

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