निमिष तिवारी,बागबहरा. लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर असर हुआ है. यह असर महासमुंद जिले में हुआ है. जहां जिले के बागबाहरा ब्लॉक में देवकुंवर सरकारी सहायता नहीं मिलने से परेशान होकर परिवार समेत इच्छामृत्यु की मांग की थी. जिसके बाद अब ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अंकित ने मानवता का परिचय देते हुए देवकुंवर को रायपुर लाकर उसका मेकाहारा में दाखिला करवा दिया है. बता दें कि इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. उसके बाद कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के डॉ. राकेश गुप्ता ने भी मेकाहारा पहुँचकर देवकुंवर की जल्द इलाज के लिए पहल की है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले में नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव को अवगत कराये जाने पर उन्होंने देवकुंवर के इलाज के लिए सारी औपचरिकता जल्द ही पूरी करने और पूरा कर इलाज कराने का आश्वासन दिया है. बता दें कि ब्लॉक के ग्राम नरतोरी की लगभग 40 वर्षीय महिला देवकुंवर चक्रधारी को वर्ष 2011 से पूर्व उसके पास मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत जारी किया गया स्लेटी राशन कार्ड था जिससे उसे राशन और अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ मिलता था. अपने परिवार की गरीबी के कारण और स्थानीय स्तर पर कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण उसे पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.

जब वह अपने गांव को छोड़कर अपने परिवार के साथ ईंट भट्टे में काम कर रही थी, इसी बीच उसके गांव में आर्थिक जनगणना हुई और गांव में नहीं होने के कारण सर्वे लिस्ट से उसका नाम काट दिया गया. सर्वे लिस्ट से नाम कटने के कारण उसके नाम से नया राशन कार्ड जारी नहीं हो पाया, जिसके कारण उसके परिवार को राशन मिलना बंद हो गया है, उसके परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है और सबसे जरूरी स्मार्ट कार्ड से भी उसे वंचित कर दिया गया है.

पलायन का दंश झेल रही इस महिला की मुसीबत तब और बढ़ गई जब वह पेट में दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुँची और डॉक्टर ने उसे बताया कि उसके पेट में ट्यूमर है जिसका जल्दी ऑपरेशन नहीं होने पर एक माह के भीतर उसकी मौत तय है. वह सरपंच, सचिव के पास गई, उन्होंने उसके गांव के स्थाई निवासी होने के संबंध में प्रशासन को अवगत कराया, मगर नियमों के चक्रव्यूह में फंस कर उनकी कलम भी घिस गई.

देवकुंवर चक्रधारी के बताए अनुसार उसने क्षेत्रीय विधायक से भी संपर्क किया था. विधायक ने उसे संजीवनी कोष से इलाज कराने फार्म भी दिया मगर फार्म में कुछ कमी होने के कारण उसका इलाज नहीं हो पाया है. देवकुंवर अपनी गरीबी और बीमारी से तंग आकर तहसील कार्यालय पहुँची और कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार को आवेदन दे कर परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग की थी. देवकुंवर के परिवार में उसके पति के अलावा एक 16 वर्षीय पुत्री और एक पुत्र भी शामिल थी.