सुरेश परतागिरी, बीजापुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पहली ही बारिश ने सड़क गुणवत्ता की पाेल खोल दी. दरअसल जिस क्षेत्र के सड़कों के निर्माण में जवानों ने अपनी शहादत दी उस इलाके की सड़कों में ठेकेदार और इंजीनियर ने मिलकर गुणवत्ताहीन कार्य किए हैं. इसी का नतीजा है कि पहली ही बारिश में डेढ़ किमी की डामर सड़क दो टुकड़ों में बट गई है.
सरकार अंदुरुनी क्षेत्रों में सड़क, पुल, पुलियों का निर्माण कर गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने का हर संभव मदद व प्रयास कर रही है. इसमें छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार काफी हद तक सफल भी हो रही है. अंदरूनी क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दिन-रात सुरक्षा बलों द्वारा पहरी देकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछा रही है. अंदरूनी इलाकों में सड़कों को बनाने में कई जवानों की शहादत भी हुई है. इससे सरकार और प्रशासन में बैठे लोग भी वाकिफ हैं. ठेकेदार और इंजीनियर ने मिलकर इन सड़कों में गुणवत्ताहीन कार्य किए हैं. इसके चलते पहली ही बारिश में सड़क दो टुकड़ों में बट गई है.
1.53 किमी में 49.99 लाख रुपयों की लागत में सड़क बनाई गई है, लेकिन इन सड़कों का हाल देकर ऐसा लगता है कि ठेकेदार और इंजीनियर ने इन्हें बनवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. इंजीनियर अगर इस सड़क पर 55 मिनट समय भी उस जगह पर जाकर दिया होता तो शायद इस सड़क बनवाने में शहीद जवानों की आत्मा को शांति मिलती, लेकिन ठेकेदार के साथ मिलकर इंजीनियर ने अपनी कमीशन के चलते घर बैठे इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क का मूल्यांकन कर पूरी राशि आहरण करने ठेकेदार का मदद किया है. इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क में ठेकेदार व इंजीनियर मिलकर गुणवत्ताहीन कार्य करा कर इस सड़क पर एक भ्रष्टाचार की लकीर लिख गए. इसी का नतीजा है कि पहली ही बारिश में सड़क दो टुकड़ों में बट गई है.
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