शब्बीर अहमद, भोपाल। उपचुनाव में नाम वापसी के आखिरी दिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने राहत की सांस ली. पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले सभी नेताओं को एक-एक कर नेताओं ने मान मनौव्वल कर आखिरकार मना लिया. इसके बाद ये साफ हो गया है कि चुनाव में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी दोनों दलों को कुछ बातें डरा रहीं हैं.

एमपी के चुनावी रण में पार्टियों से बागी होकर जिन नेताओं ने ताल ठोकी थी, उस आग को बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने शांत कर दिया. सभी बागियों को वक्त रहते मान लिया गया. जिसके बाद दोनों दलों के खेमों में खुशी है. अगर बीजेपी की बात करें तो भाजपा को रैगांव सीट पर सबसे ज्यादा डर सता रहा था, क्योंकि दो नेताओं ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. सबसे पहले पुष्पराज बागरी को सीएम ने मनाया. इसके बाद वंदना बागरी भी मना गई. वंदना बागरी जब फॉर्म वापस लेने पहुंची थी, उस वक्त उनकी आंखें भर आईं थी.

बगावत से कांग्रेस भी अछूती नहीं रही, उसे भी रैगांव सीट से विरोध झेलना पड़ा. महेश पटेल के नाम का एलान करने के बाद दिवंगत कलावती भूरिया के भतीजे दीपक भूरिया ने पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. साथ ही कांग्रेस की महिला नेत्री शोभना ओकार ने भी पार्टी के खिलाफ जाकर नामांकन भर दिया. लेकिन दोनों नेताओं को बड़े नेताओं ने समझाया. जिसके बाद नाम वापसी का दोनों नेताओं ने ऐलान किया.

ऊपरी तौर पर भले ही बागियों ने पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में नाम वापस ले लिया हो, लेकिन भीतरघात का डर दोनों सियासी दलों में बढ़ गया है. क्योंकि ये बागी पार्टी के लिए कितना काम करेंगे, ये सबसे बड़ा सवाल है. बाकी 2 नवंबर के रिजल्ट सबकुछ साफ कर देंगे.