बिलासपुर। महिला आरक्षक को मोबाइल पर कॉल कर आधी रात को अपने बंगले पर बुलवाने और अभद्रता करने के मामले में एडीजी पवन देव के खिलाफ आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर गुरुवार को  हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और संजय अग्रवाल की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए गृह सचिव, डीजीपी छत्तीसगढ़ और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है, वो कोर्ट को बताएं. इसके लिए 2 सप्ताह की मोहलत कोर्ट ने दी है.

ये है पूरा मामला

30 जून 2016 को मुंगेली जिले की एक महिला कॉन्स्टेबल ने आईजी पवन देव पर फ़ोन पर अश्लील बात करने और दबाव पूर्वक अपने बंगले बुलाने का आरोप लगा कर शिकायत की थी. इसके बाद राज्य सरकार ने IAS रेणु पिल्लै की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति गठित की थी. 4 जुलाई 2016 को समिति ने जांच कर अपनी रिपोर्ट 2 दिसम्बर 2016 को डीजीपी को सौंप दी. समिति ने जांच में मुंगेली की महिला कॉन्स्टेबल द्वारा बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव पर लगाए गए लैंगिक उत्पीड़न के आरोप को सही पाया था. महिला कॉन्स्टेबल द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर पवन देव पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी और इसके लिए डीजीपी को ज्ञापन भेजा गया था. साथ ही ये हाई प्रोफ़ाइल मामला प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग तक भी पहुंचा.

वहीं जांच कमेटी के रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर पीड़िता ने फिर से अपनी शिकायत राज्य सरकार, पीएमओ कार्यालय दिल्ली और डीजीपी से की थी. इसके बाद भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं बोने पर पीड़िता ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम की धारा 13 का उल्लंघन किए जाने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी. इसी याचिका पर गुरुवार को जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और संजय अग्रवाल की युगल पीठ ने सुनवाई की.

ये है जांच रिपोर्ट में
जांच समिति द्वारा डीजीपी को सौंपी गई रिपोर्ट में महिला कॉन्स्टेबल की शिकायत को सही बताते हुए पवन देव पर लैंगिक प्रताड़ना के आरोपों को सही पाया.

कानून के मुताबिक
महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध, प्रतितोष ) अधिनियम 2013 के अनुसार, शिकायत की जांच अनिवार्य रूप से 90 दिन के अंदर करनी होगी.  इस अधिनियम की धारा 13 ( 4 ) में प्रावधान है कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर विभाग प्रमुख को आरोपी व्यक्ति पर कार्रवाई करनी होगी.