रायपुर.गोलबाजार की जड़ी-बूटी के दुकानों में छापा मारकर जंगली जानवरों के अवशेष जब्त मामले में नया मोड़ आया है, दरअसल वन विभाग सूचना देने वाला मुखबिर ब्लैक मेलर निकला. वह दुकानदारों को ब्लैकमेल करने के लिए वन विभाग को झूठी जानकारी देता था. आरोपी की पोल रायगढ़ में छापा मारने के बाद खुली है. आरोपी का नाम दीपक दलाल बताया जा रहा है. वहीं छापा के दौरान गोलबाजार में जब्त जंगली जानवरों के अवशेषों की कीमत करोड़ों में आंकी गई थी, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब्त जंगली जानवरों के अवशेष की कीमत मुश्किल से 50 से 60 हजार रुपए बताई जा रही है.

बता दें कि बीते दिनों पीपुल्स फॉर एनीमल ने रायगढ़ के एक कारोबारी को मेल के जरिये सूचित किया है कि दीपक का संस्था से कोई लेना देना नहीं है. वह संस्था में किसी भी प्रकार से शामिल नहीं है. दीपक के हकीकत सामने आने के बाद वन विभाग के अफसरों के होश उड़ गए. दीपक के कहने पर ही बड़ी टीम भेजकर रायपुर, रायगढ़ और बिलासपुर में छापा मारा था.

29 अगस्त को दीपक दलाल के साथ वन विभाग की टीम ने सबसे पहले रायपुर में गोलबाजार की जड़ीबूटी दुकान में छापा मारा था. दीपक ने बताया था कि दुकान में जड़ी बूटी के आड़ में जंगली जानवरों के अवशेष बेचे जा रहे हैं. वह पहले खुद एक दुकान में पहुंचा. वहां उसने प्रतिबंधित जंगली जानवरों के अवशेष खरीदे. उसी दौरान वन विभाग की टीम को संकेत दे दिया. तब टीम ने एक साथ दो दुकान में छापा मारा. इस दौरान दुकान से कई जानवरों के अवशेष के साथ समुद्री जीवाश्म तक मिला था. वन विभाग की टीम ने पूरा सामान जब्त कर दुकान के संचालकों को पूछताछ के हिरासत में लिया गया था. पूछताछ के बाद गुप्ता बंधुओं का रिहा कर दिया गया.

अब पता चला है कि छापे के पीछे उसकी मंशा ब्लैक करना रहता था. इसी वजह से रायपुर में छापे के बाद वह बिलासपुर गया था . उसके बाद रायगढ़ में भी छापा मारने लिए वन विभाग के अफसरों के मजबूर किया गया. साथ ही ये भी पता चला है कि जब्त जानवर अवशेषों की कीमत 50 से 60 रुपए है.