अंकुर तिवारी,किरंदुल. बस्तर संभाग के ग्राम पालनार को प्रशासन ने तो डिजिटल ग्राम का दर्जा दे दिया है. लेकिन उस डिजिटल ग्राम की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.  दरअसल डिजिटल ग्राम पालनार में पिछले चार साल से संचालित हो रहा है. छात्रों को योजना के तहत संचालित पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रवास में कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. यह हम नहीं कह रहे है ऐसा यहां के बच्चों का ही कहना है. वहीं दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर सौरभ कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

बच्चों ने आरोप लगाया है कि पिछले कई सालों से ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों से योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की शिकायत की गई.  जनप्रतिनिधियों और हॉस्टल अधीक्षक के द्वारा बहुत जल्द पूरी व्यवस्था करने की बात जरूर कह दी गई. लेकिन अभी तक शिकायत करने के बाद भी बच्चों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सका है. इस हॉस्टल में शौचालय और पानी तक की व्यवस्था नहीं है. यहां तक की पूरा छात्रावास का भवन जर्जर हो चुका है. भवन के चारों तरफ इधर-उधर बिजली के तार लटके हुए है. जिससे करंट लगने का खतरा बना रहता है.

यहां तक की पूरे बिल्डिंग में तीन कमरे है. जिसमें एक ही कमरे में 20 बच्चे रहते है और एक लाइट पूरे कमरे को रौशन करने के लिए लटका कर रखा गया है. छात्रों के लिए प्रशासन ने बिस्तर तक नहीं दिया है, छात्र अपने खुद का बिस्तर लाकर सोने को मजबूर है. वहीं एक दिन हॉस्टल में जहरीला सांप घुसकर एक छात्र को डस दिया था. जिससे छात्र घायल हो गया उसका इलाज एक अस्पताल में चल रहा है. उसके बाद छात्रों ने उस जहरीले सांप को एक डिब्बे में डालकर रखा है. ताकि कोई अधिकारी आये तो देखे इनकी समस्या को. इन समस्याओं के बीच छात्र पढ़ाई करने को मजबूर है.

यहां पूरे बच्चे नक्सली प्रभावित अंदरूनी गांव से है. यहां तक शासन की तरफ से उन बच्चों के लिए खाना बनाने का भृत्य तक नहीं है. बच्चे स्वयं खाना तक बना कर खाते है. अधीक्षक को चावल दाल सब्जी व्यवस्था करने पर कहा जाता है कि आप लोग खुद ही व्यवस्था कर लों. जिसके बाद छात्र खुद ही चंदा इकठ्ठा कर खाने का राशन लाते और पकाते है. इसके बाद अभी बच्चे पिछले दो दिन से भूखे है. यहां तक ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों का भी सहयोग करते बच्चों ने कही बार प्रतिनिधियों के सामने पूरी समस्या को अवगत करा चुके है. इसके बावजूद भी कोई सामने आकर सहयोग करने नहीं आता है.

इस बारे में जब सरपंच से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे भी जानकारी मिली है. दंतेवाडा कलेक्टर और ट्राइबल विभाग के साहायक आयुक्त को ग्राम पंचायत के माध्यम से समस्या के बारे जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है और बहुत जल्द दूसरी जगह बच्चों को पूरी व्यवस्था कर सिप्ट करने का आश्वासन दिया है. वहीं दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर सौरभ कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.