रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार पर भू राजस्व संहिता कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है. यह आरोप लगाया है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने. आरोप में कहा गया है कि भू राजस्व संहिता कानून के प्रावधानों के तहत कोई भी गैर कृषक कृषि भूमि नहीं खरीद सकता, लेकिन राज्य में बीते पांच सालों में बड़े पैमाने पर गैर कृषकों ने कृषि भूमि खरीदी है. कांग्रेस ने मांग की है कि बीते सालों में हुई सभी कृषि भूमि की खरीदी को शून्य घोषित किया जाए.

भूपेश बघेल ने आज कांग्रेस भवन में प्रेस कांफ्रेंस लेकर कहा कि भू राजस्व संहिता के संशोधन में कहा गया है कि कृषि भूमि का किसी भी गैर कृषकों को नहीं बेचा जा सकता है. इस प्रावधान के क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने और उसे अधिसूचित करने के लिए राज्य को अधिकृत किया गया है. बघेल ने कहा कि 16 अगस्त 2013 को राज्यपाल की स्वीकृति मिली औऱ इसके बाद 19 अगस्त 2013 को राजपत्र में इसका प्रकाशन भी हो गया. भूपेश बघेल ने कहा कि अगर विधेयक पारित हो गया था और कानून बन गया था तो तत्काल प्रभाव से कृषि भूमि का विक्रय किसी गैर कृषक को बेचने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा होता इससे पहले 17 सितंबर 2013 को राज्य सरकार के एक सचिव स्तर के अधिकारी ने राज्य के सभी कलेक्टरों को एक परिपत्र भेजकर कहा कि फिलहाल यह कानून लागू नहीं है और कृषि भूमि की खरीदी बिक्री पहले की तरह होती रहेगी.

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव के हस्ताक्षर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि चूंकि नियम बनाने में समय लगेगा इसलिए फिलहाल यह कानून लागू न माना जाए. भूपेश बघेल ने कहा कि अब पांच साल बितने वाले हैं और रमन सरकार पांच साल बाद भी नियम नहीं बना पाई है. नियम नहीं बनाए जाने से कृषि भूमि हड़पने का सिलसिला लगातार जारी है.

भूपेश बघेल ने कहा कि शर्मनाक बात यह है कि सरकार इस संबंध में विधानसभा के भीतर भी झूठ बोल रही है. मार्च 2015 में कांग्रेस विधायक मोतीलाल देवांगन ने विधानसभा में एक प्रश्न किया था और राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने अपने जवाब में कहा था कि 165 में एक उपधारा 4 क के क्रियान्वयन को किसी तरह से निष्प्रभावी नहीं किया गया है.

कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या विधानसभा द्वारा पारित कानून को लागू करने से रोकने का अधिकार सचिव स्तर के अधिकारी को है ? अगर नियम बनाते तक ही कानून पर अमल रोकना था, तो क्या कारण है कि पांच साल में भी कानून नहीं बनाया गया?