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रायपुर. रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनकी एक सभा में कांग्रेसी कार्यकर्ता अनवर हुसैन की पुलिस ने जमकर पिटाई की थी. अनवर हुसैन ने डॉ. रमन सिंह के भाषण के दौरान उनके वक्तव्य को सफेद झूठ कहकर विरोध किया था. अब इस मामले में नई सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग ने सात साल बाद अपना फैसला सुनाया है. आयोग ने पुलिस की इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए पीड़ित अनवर हुसैन को 25 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति दिए जाने की अनुशंसा शासन से की है.
इस मामले की शिकायत राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग में की थी. आयोग ने जांच में पाया कि तत्कालीन टीआई आरके दुबे द्वारा अनवर हुसैन के साथ बिना किसी आधार के पिटाई की गई थी. यदि अनवर हुसैन द्वारा सभा में व्यवधान किया जा रहा था तो उसे सभास्थल से हटाना ही पर्याप्त था. टीआई द्वारा अनवर को थाने में ले जाकर उसके साथ मारपीट करना विधि अनुकूल नहीं था. जिसके बाद मानव अधिकार आयोग ने अनवर हुसैन को क्षतिपूर्ति के रुप में दो माह के भीतर 25 हजार रुपये का भुगतान दिए जाने की बात कहीं हैं.
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अनवर हुसैन ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि घटना के बाद यह फैसला आया है, इस फैसले की जानकारी मुझे नहीं थी, मानव आयोग ने लेटर जारी किया तब जाकर उन्हें इसकी जानकारी लगी. उन्होंने कहा कि मेरे साथ जो मारपीट की गई मुझे जेल भेजा गया. अब इस मामले में आगे लड़ाई लड़ी जाएगी. दोषियों के खिलाफ कानूनन लड़ाई लड़ेंगे औऱ दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग करेंगे.
यह वाक्या उस वक्त हुआ था जब 7 अक्टूबर 2012 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में आयोजित कृषि मेले के उद्घाटन समारोह चल रहा था. वहां मौदहापारा निवासी अनवर हुसैन भी गया हुआ था. उद्घाटन समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का भाषण चल रहा था तो अनवर हुसैन ने डॉ. रमन सिंह के वक्तव्य को सफेद झूठ कहकर विरोध किया था. अनवर ने कहा था कि धान के रकबा बढ़ा था और जिसको लेकर मुख्यमंत्री को पुरुस्कार भी दिया गया था. जिसे अनवर ने गलत बताते हुए पुरुस्कार को झूठा बताया था. जिसके बाद इसके बाद रमन सिंह ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि कुछ लोग दिन में भी शराब पी लेते हैं. उनकी नाराज़गी को भांपते ही तेलीबांधी के टीआई आरके दूबे अनवर को मारते हुए थाने ले गए. थाने में अनवर को इतना पीटा कि वो घायल हो गए थे उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
थाने में तत्कालीन टीआई आरके दुबे एवं अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा अनवर हुसैन की बेहरहमी से पिटाई की गई और 151 का मामला बनाकर अनुविभागीय दण्डाधिकारी के न्यायालय में पेश किया गया जहां उसे जमानत नहीं मिली. 9 अक्टूबर 2012 को उसकी रिहाई हुई थी.