कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है. यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है. इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है. यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है. स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है. साथ ही पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है. इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममूहुर्त में स्नान करती हैं. यह स्नान विवाहित तथा कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है. इस महीने में दान करना भी लाभकारी होता है. दीपदान का भी खास विधान है. यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है. यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है.

हिन्दू धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं. कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन करना चाहिए. इस मास में दाल खाना वर्जित होता है. इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए उसे भूमि शयन करना चाहिए. इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है. दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है. पर सबसे ज्यादा कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का महत्व है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं. Read More – द कश्मीर फाइल्स के बाद अब विवेक अग्निहोत्री लाने वाले हैं नई फिल्म Parva, कहानी महाभारत पर होगी आधारित …

तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं. इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं. इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है. यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है. साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है. यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है. Read More – Karwachauth 2023 : करवाचौथ पर चाहिए साफ ग्लोइंग Skin, तो अभी से लगाना शुरू करें मेथी दाना का मास्क …

तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है. अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.