रामगढ़, झारखंड. देश में ऐसा पहली बार कथित गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा से जुड़े किसी मामले में आरोपियों को सजा सुनाई गई है. झारखंड के रामगढ़ में साल 2017 में हुई अलीमुद्दीन अंसारी की हत्या के मामले में 11 दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है.इन दोषियों में भाजपा के नेता भी शमिल है जिन्हें कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इन सभी आरोपियों पर गोरक्षा के नाम पर हत्या किये जाने का आरोप है.

गोरक्षा से जुड़े एक हत्या के मामले में झारखंड की फास्ट ट्रैक अदालत ने 11 ‘गो-रक्षकों’ को उम्र कैद की सज़ा सुनाई है. अदालत ने एक भाजपा नेता सहित 12 में से 11 अभियुक्तों आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया था. इनमें से तीन पर धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के आरोप भी साबित हुए थे. एक अभियुक्त को जुवेनाइल करार दिया गया. अदालत ने यह भी माना कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था.

सज़ा का ऐलान होने के बाद बचाव पक्ष के वकील बीएम त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला कस्टडी में मौत का है. चूंकि अलीमुद्दीन को गंभीर स्थिति में पुलिस द्वारा ले जाया गया था, इसलिए यह पुलिस कस्टडी में मौत का मामला है. हम अगले 60 दिनों में हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

बताया जा रहा है कि जब गो रक्षा मामले के दोषियों को कोर्ट ले जाया जा रहा था तो कोर्ट के गेट पर जय श्री राम के नारे लगाये गये. वही मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. इस सुनवाई के दौरान दोषियों के परिजनों सहित कई राजनीतिक दलों के लोग भी कोर्ट में मौजूद थे.

गोरक्षा समिति के जिन 12 आरोपियों को सजा सुनाई गई है उनमें छोटू वर्मा, दीपक मिश्रा, छोटू राणा, संतोष सिंह, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी नित्यानंद महतो, विक्की साव ,सिकंदर राम, रोहित ठाकुर, विक्रम प्रसाद, राजू कुमार, कपिल ठाकुर, छोटू राणा के नाम शमिल हैं.

बाता दें कि मांस कारोबारी अलीमुद्दीन उर्फ असगर अंसारी को रामगढ़ में 29 जून 2017 को गो-मांस ले जाने के संदेह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. अलीमुद्दीन अपनी वैन में करीब 200 किलोग्राम मांस लेकर जा रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. उनकी गाड़ी को आग लगा दी गई. पुलिस के बीच-बचाव के बाद अलीमुद्दीन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया.

जिस दिन यह घटना ​घटित हुई उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान देश की जनता से गाय और गोरक्षा के नाम पर क़ानून हाथ में न लेने की अपील कर रहे थे.