विप्लव गुप्ता/पुरषोत्तम पात्रा, पेंड्रा/गरियाबंद. देवभोग में श्रम विभाग ने साइकिल और सिलाई मशीन वितरण का आयोजन किया था. जिसमें लापरवाही देख भड़के संसदीय सचिव ने श्रम अफसरों से कहा कि सरकार की ऐसी योजनाओं में खाना पूर्ति न करे तो बेहतर होगा. वहीं पेंड्रा में श्रम एवं लोक कल्याण विभाग द्वारा नि:शुल्क साइकिल और औजार देने की योजना में हितग्राहियों से अवैध वसूली करने का मामला सामने आय़ा है. तहसीलदार ने पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कहीं है.

दरअसल देवभोग में चार साल में पहली बार आयोजित श्रम विभाग के आयोजन में साइकिल वितरण के लिए 263 औऱ सिलाई मशीन के लिए 16 हितग्राहियों को बुलाया गया था, लेकिन आयोजन स्थल पर केवल 15 साइकिल और 4 सिलाई मसीन संसदीय सचिव के वितरण के लिए विभाग ने रखा था. लापरवाही देख भड़के संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी ने श्रम अफसरों से कहा कि सरकार की ऐसी योजनाओं में खाना पूर्ति न करे तो बेहतर होगा. आए हितग्राही बैरंग न लौटे इसलिए जिस जगह पर साइकिल रखा हुआ था. वहां पहुंचकर संसदीय सचिव ने सभी को साइकिल वितरण किया.

बता दें कि पिछले चार सालों में विभाग का इस ब्लॉक में पहला आयोजन था. इसके बावजूद इस वितरण कार्यक्रम में औपचारिकता निभाया जा रहा था. हितग्राहियों की संख्या और मौके पर बांटने के लिए रखे गए साइकिल और सिलाई मशीन को देखकर श्रम अधिकारी को संसदीय सचिव ने आयोजन शुरु होने से पहले ही कई सवाल दागे.

वहीं मामले में सफाई देते हुए लोक कल्याण विभाग के इंस्पेक्टर मनीष बंजारे ने कहा कि बारिश के कारण सभी सामान एक साथ लाना संभव नहीं था. इसलिए कम संख्या में लाकर मुख्य अतिथि के हांथो बटवा रहे थे. इसके बाद आनन-फानन में वितरण की तैयारी की गई. फिर माझी एवं अन्य अतिथियों की मौजदगी में वितरण किया गया.

पेंड्रा में निशुल्क के नाम पर पैसे वसूलने का मामला

छत्तीसगढ़ शासन श्रम एवं लोक कल्याण विभाग द्वारा निशुल्क साइकिल औऱ औजार देने की योजना में हितग्राहियों से अवैध वसूली करने का मामला सामने आया है. हितग्राहियों को साइकिल और औजार देने के नाम पर 300 से 500 रुपए तक वसूली की गई है. मामला प्रकाश में आने के बाद तहसीलदार ने पूरे मामले की जांच करने के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कहीं है.

हितग्राही सुनीता, देवकी, भूरे लाल, फूल कुंवर और शिवमत के अनुसार विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा योजना का लाभ दिलाने के नाम पर रुपए की अवैध वसूली की गई. साइकिल मिलने की खुशी से किसी ने 500 तो किसी ने 300 रुपए देने को न सिर्फ सहज स्वीकार कर लिया. बल्कि शाम को संबंधित कर्मचारी जब जब रुपए लेने आएंगे तो उन्हें दारू मुर्गा भी खिलाना पड़ता है. हितग्राहियों की मानें तो अधिकारियों ने साइकिल मिलने के बाद उनके द्वारा भेजे गये व्यक्ति को पैसे देने की बात भी कही थी.

वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद तहसीलदार महेश शर्मा ने मामले को गंभीरता को देखते हुए कहा कि सरकार की यह योजना निशुल्क है, अगर किसी भी अधिकारी कर्मचारी ने श्रमिकों को साइकिल एवं औज़ार देने के नाम पर रुपए की मांग की है. तो हितग्राहियों से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.