लखनऊ. उत्तर प्रदेश के 403 नवनिर्वाचित विधायकों में से 205 (करीब 51 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 143 (36 फीसदी) विधायकों ने अपने हलफनामे में घोषणाएं की हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोकेट्रिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी एक विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, 158 (39 प्रतिशत) जीतने वाले उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि से संबंधित मामले शामिल हैं.
पांच विजयी प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ हत्या (आईपीसी की धारा-302) से जुड़े मामले घोषित किए हैं. हत्या के प्रयास से संबंधित मामलों में जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या 29 है, जबकि छह विजयी उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की है – जिनमें से एक पर दुष्कर्म से संबंधित मामला दर्ज है. एडीआर विश्लेषण के अनुसार, भाजपा के 255 विजयी उम्मीदवारों में से 111 (44 प्रतिशत) ऐसे हैं जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि है, 111 विजयी उम्मीदवारों में से 71 सपा के, रालोद के 8 विजयी उम्मीदवारों में से 7, 6 में से 4 जीतने वाले उम्मीदवार हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार, निषाद भाग के 6 विजयी उम्मीदवारों में से 4, अपना दल के 12 विजयी उम्मीदवारों में से 3, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 2, कांग्रेस के 2 और बसपा के 1 उम्मीदवार हैं.
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भाजपा के 255 नवनिर्वाचित विधायकों में से लगभग 233, सपा के 111 में से 100, अपना दल के 12 में से 9, रालोद के 8 में से 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6, निषाद पार्टी के 6, जनसत्ता दल के 2 विधायक हैं. लोकतांत्रिक, कांग्रेस के 2 और बसपा जीतने वाले 1 उम्मीदवारों ने 1 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति घोषित की है.