लखनऊ. उत्तरप्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक खर्च के कारण अधिकत्तर परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा.

बता दें कि मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए कई प्रयास किए हैं. संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी.

यह होता है विभाजन

विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और विभाजन उनके मध्य होता है.

विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी. यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा, भतीजा और भतीजी है तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं.

यह होता है व्यवस्थापन

व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है.

व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापनकर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है. सम्पत्ति यदि परदादा-परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में और यदि प्रपौत्र-प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है.