रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल में स्थान हासिल करने वालों में 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल भी शामिल हैं. राजेश अग्रवाल एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी हुआ करते थे, लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिंहदेव को कांटे की टक्कर में महज 94 मतों के शिकस्त देकर पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी.

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व्यवसाय से राजनीति का सफर

स्वर्गीय चांदी राम अग्रवाल के पुत्र राजेश अग्रवाल लखनपुर के रहने वाले हैं. राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने कारोबार में अपना नाम कमाया. अंबिकापुर में उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर निजी व्यापारिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया. व्यवसाय से जुड़े रहने के दौरान ही उनका रुझान राजनीति की ओर बढ़ा. दिग्गज कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव के लिए लंबे समय तक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े रहे.

सिंहदेव की छांव से परे भाजपा में मिली पहचान

राजनीति में राजेश अग्रवाल को सही पहचान 2018 में मिली, जब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर भाजपा का हाथ थामा. भाजपा ने उनकी योग्यता को समझा और पनपने का पूरा मौका दिया. जल्द ही उन्हें सरगुजा जिला कार्यकारिणी के सदस्य नियुक्त किया गया, इसके बाद पार्टी संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने लगे. मेहनत और समर्पण का नतीजा रहा कि भाजपा ने उन्हें अंबिकापुर जैसी प्रतिष्ठित सीट से प्रत्याशी बनाया.

पहले ही चुनाव में किया सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी के रूप में अंबिकापुर सीट से मैदान में उतारा गया. यह सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का गढ़ मानी जाती थी. कड़े मुकाबले में राजेश अग्रवाल ने कुल 90,780 वोट हासिल कर सिंहदेव को 94 मतों के बेहद मामूली अंतर से हराया. यह जीत छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर साबित हुई.