लखनऊ. उत्तर प्रदेश में रामचरित मानस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार ट्वीट के जरिए माहौल को गरमाए हुए हैं. उन्होंने पहले अंबेडकर के बहाने हमला बोला और सोमवार को संघ को ढाल बनाते हुए टिप्पणी की. वहीं सोमवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि धर्माचार्यों से मेरा अनुरोध है कि हिंदू धर्म में व्‍याप्‍त बुराइयों को दूर करने के लिए आगे आएं. उन्होंने कहा कि जिसमें महिलाओं-शूद्रों को प्रताड़ित करने के लिए कहा गया है, उस अंश को निकालने की मैंने बात रखी है.

सपा नेता स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमने एक छोटी सी बात उठाई थी. रामचरित मानस की चौपाइयों के कुछ अंश को जिसमें जाति विशेष को नीच अधम कहा गया, महिलाओं और शूद्रों को प्रताड़ित और अपमानित करने के लिए कहा गया. महिलाओं को नीच में भी नीच बताया गया, उस अंश को निकालने के लिए मैंने बात रखी लेकिन उस पर विचार करने के लिए देश के संत महात्‍मा, धर्माचार्य और वर्ग विशेष के लोगों ने मेरा सिर काटने, जीभ काटने, नाक-कान-हाथ काटने की सुपारी देना शुरू कर दिया. मैं उन धर्माचार्यों से कहना चाहता हूं कि क्‍योंकि मैं आपकी बनाई जाति, वर्ण व्‍यवस्‍था में चौथे पायदान पर आने वाले शूद्र समाज में पिछड़ी जाति में पैदा हुआ इसलिए आपने मेरा सिर, जुबान, कान, नाक, हाथ काटने के लिए फरमान जारी कर दिया. क्‍या आपमें हिम्‍मत है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी के बारे में भी ऐसा ही कर सकें.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा कि ‘जाति-व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई है. यह कहकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो रामचरित्र मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए आगे आएं.’

स्वामी प्रसाद मोटी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अभी भी इन तत्‍वों की अक्‍ल ठिकाने पर आ जानी चाहिए. हमने आपको अपशब्‍द नहीं कहे, किसी का अपमान नहीं किया, हमने से सिर्फ आपत्तिजनक टिप्‍पणियों को हटाने की मांग की तो उस पर विचार करने की बजाए आप एक आतंकवादी, अपराधी की भाषा बोलने लगे तो स्‍वाभाविक रूप से आपकी यही सोच है इस सोच के चलते बाबा साहेब को कहना पड़ा था कि मैं हिंदू धर्म में पैदा जरूर हुआ, लेकिन इसमें मरूंगा नहीं. बाबा साहेब ने 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था. 

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स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने भेदभाव और ऊंच नीच पर प्रहार करने वाले कई महापुरुषों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि हिंदू धर्म सुरक्षित रहे इसलिए इसकी बुराइयों को दूर करने के लिए धर्माचार्य आगे आएं. इसके साथ ही यदि किसी पाठ्य पुस्‍तक या कहीं किसी रचना में जातिसूचक शब्‍दों का प्रयोग कर नीच अधम कहा गया, महिला समाज और शूद्र समाज को प्रताड़ित और अपमानित करने के लिए कहा गया, महिलाओं को नीच में भी नीच बताया गया तो ऐसे सभी हिस्‍सों को तत्‍काल उन पुस्‍तकों से बाहर किया जाना चाहिए जिसके नाते समय-समय पर इस विषय पर विवाद होता रहा. 

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