Income Tax Notice: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद लोग लापरवाह हो जाते हैं कि अब कोई टेंशन नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है. रिटर्न दाखिल करने के बाद भी नोटिस आ सकता है. टैक्सपेयर्स को कई तरह के नोटिस मिलते हैं. टैक्स और आय में अंतर होने पर आ सकता है नोटिस अगर आप रिटर्न में भारी रिफंड का दावा करते हैं तो नोटिस दिया जा सकता है. आइए जानते हैं कि इनकम टैक्स नोटिस कितने प्रकार के होते हैं और ये क्यों आते हैं?
इनकम टैक्स नोटिस कितने प्रकार के होते हैं?
इनकम टैक्स नोटिस कई तरह के होते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि नोटिस किसी व्यक्ति, व्यवसाय या कंपनी को भेजा जा रहा है या नहीं. नोटिस लगभग 15 से 20 प्रकार के होते हैं. इनमें से कुछ नोटिस ऐसे होते हैं जो व्यक्ति विशेष को भेजे जाते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ चुनिंदा नोटिस के बारे में जो आमतौर पर आते हैं…
धारा 142: अगर किसी व्यक्ति ने आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो आयकर अधिकारी उसे धारा 142 के तहत नोटिस देकर रिटर्न दाखिल करने के लिए कह सकता है. इस धारा के तहत छोटी-मोटी जानकारी या स्पष्टीकरण मांगने के लिए भी नोटिस भेजे जा सकते हैं.
धारा 143(2): यह जांच का नोटिस है. इसका मतलब है कि आयकर विभाग आपसे कुछ और गहन जानकारी चाहता है. इसके तहत बुक ऑफ अकाउंट्स, बैंक स्टेटमेंट जैसी कई जानकारियां मांगी जा सकती हैं. इनके आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा. यह नोटिस रिटर्न दाखिल करने के बाद ही आता है. सबसे ज्यादा स्क्रूटनी के नोटिस आते हैं.
इसके अलावा, दोषपूर्ण रिटर्न के लिए धारा 139(9), तलाशी और जब्ती के लिए धारा 153(ए), कर, ब्याज या जुर्माने के बकाया के लिए धारा 156, आय छुपाने के संदेह के लिए धारा 131(ए) के तहत नोटिस भेजा जा सकता है.
टैक्सपेयर्स को किन कारणों से मिलते हैं नोटिस?
करदाताओं को कई कारणों से नोटिस मिल सकता है. पहला बड़ा कारण यह है कि आपने आयकर विभाग से किसी प्रकार की आय छिपाई है और दूसरा कारण आयकर रिटर्न फॉर्म में कोई गलती करना है. कभी-कभी जोड़-घटाव जैसी कुछ अंकगणितीय गलतियां करने पर भी नोटिस आते हैं.