ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ने पाकिस्तान की नींद उदा दी थी। कुछ गिने-चुने एयर डिफेंस सिस्टम ही इसे रोकने में सक्षम हैं। चीन से उधार पर लिया गया पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस के आगे पूरी तरह फेल हो गया। वहीं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल ने दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी। अब जल्द ही ब्रह्मोस को हाइपरसोनिक वेरिएंट भी आने वाला है। चीन से लेकर अमेरिका तक के एयर डिफेंस सिस्टम इस मिसाइल के आगे पानी भरेंगे। जानकारी के मुताबिक भारत और रूस जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुके हैं।

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क्या होगी ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत

ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल की स्पीड के बारे में आधिकारिक जानकारी तो सामने नहीं आई है लेकिन जानकारों का मानना है कि यह आवाज की स्पीड से 8 गुना तेजी से चलाई जा सकती है। इसके अलावा इसकी रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा होगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान और चीन का बड़ा इलाका इसकी जद में होगा। इसकी स्पीड Mach-8 या Mach-9 तक हो सकती है। यानी यह 11000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल वार कर सकती है।

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आयरन डोम भी हो जाएगा फेल

ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह हवा में ऑक्सीजन को खींचकर लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा इस मिसाइल का वजन भी कम होगा जिससे आसानी से तेजस विमान से भी इसे लॉन्च किया जा सके। इजरायल के आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम को काफी एडवांस माना जाता है। हालांक कि इसके लिए भी ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकना मुश्किल हो जाएगा। ब्रह्मोस प्रोजेक्ट को भी भारत और रूस ने मिलकर ही अंजाम दिया था। अब यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में शामिल है।

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होशियारी में भी नंबर वन

ब्रह्मोस के इस वर्जन से डीप इनसाइड टारगेट्स को भी भेदा जा सकेगा। आने वाले समय में यह मिसाइल भारत के सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक होगी। होशियारी में भी यह मिसाइल नंबर वन होगी। यह ना केवल तेज गति से अपने टारगेट को निशाना बना सकती है बल्कि तेजी से मुड़ भी सकती है। ऐसे में दुश्मन के लिए इसे इंटरसेप्ट करना आसान नहीं होगा। यह दुश्मन के रडार सिस्टम को भी मात देने में सक्षम होगी। एडवांस कंट्रोल सिस्टम, स्टेल्थ फीचर्स और डिजाइन इसे और भी खास बना देते हैं।

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शुरू हो गया है प्रोजेक्ट

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने रशिया टुडे से बात करते हुए कहा कि ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल को लेकर काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि दोनों ही देश इस प्रोजेक्ट में जुट गए हैं। जल्द ही ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल हमारे सामने होगी। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल का नाम ही भारत और रूस की दो नदियों ब्रह्मपुत्र और मोसकवा पर रखा गया है। इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ की 50.50 फीसदी और रूसी कंपनी की 49.50 फीसदी हिस्सेदारी है।

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