नई दिल्ली। भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण का हब बनाने के उद्देश्य से ई-वाहन नीति को मंजूरी दी है. सरकार के इस कदम को इलेक्ट्रिक वाहनों की बड़ी निर्माता कंपनी Tesla के लिए देश में निर्माण शुरू करने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इसे भी पढ़ें : BREAKING : लोकसभा चुनाव की तारीखों का चुनाव आयोग कल करेगा एलान…

केंद्र सरकार ने इस योजना को मंजूरी इस लिहाज से दी है, ताकि देश में नवीनतम तकनीक वाले ई-वाहनों (ईवी) का निर्माण किया जा सके. यह नीति प्रतिष्ठित वैश्विक ईवी निर्माताओं द्वारा ई-वाहन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई है.

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सरकार को उम्मीद है कि इससे भारतीय उपभोक्ताओं को नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगा, मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा, ईवी खिलाड़ियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा, जिससे उच्च मात्रा में उत्पादन, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन की कम लागत, कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी. इसके साथ व्यापार घाटा कम करना, वायु प्रदूषण कम करना. विशेषकर शहरों में, और इसका स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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नीति में शामिल शर्त

  • न्यूनतम निवेश आवश्यक: 4150 करोड़ रुपये (~USD 500 मिलियन)
  • अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं
  • विनिर्माण के लिए समयसीमा: भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए 3 वर्ष, और ई-वाहनों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करना, और अधिकतम 5 वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) तक पहुंचना.
  • विनिर्माण के दौरान घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए): तीसरे वर्ष तक 25% और पांचवें वर्ष तक 50% का स्थानीयकरण स्तर हासिल करना होगा.
  • 15% का सीमा शुल्क (जैसा कि सीकेडी इकाइयों पर लागू होता है) कुल 5 साल की अवधि के लिए 35,000 अमेरिकी डॉलर और उससे अधिक के न्यूनतम सीआईएफ मूल्य वाले वाहन पर लागू होगा, बशर्ते निर्माता 3 साल की अवधि के भीतर भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करे. .
  • आयात के लिए स्वीकृत ईवी की कुल संख्या पर छोड़ा गया शुल्क किए गए निवेश या 6484 करोड़ (पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन के बराबर) जो भी कम हो, तक सीमित होगा. यदि निवेश 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक है, तो प्रति वर्ष 8,000 से अधिक की दर से अधिकतम 40,000 ईवी की अनुमति नहीं होगी. अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी.
  • कंपनी द्वारा की गई निवेश प्रतिबद्धता को छोड़े गए कस्टम ड्यूटी के बदले में बैंक गारंटी द्वारा समर्थित होना होगा.
  • योजना दिशानिर्देशों के तहत परिभाषित डीवीए और न्यूनतम निवेश मानदंडों को पूरा न करने की स्थिति में बैंक गारंटी लागू की जाएगी.