दीपावली से पूर्व पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के 2 स्थानों, डेपसांग और डेमचोक में बुधवार शाम को भारत-चीन की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, 31 अक्तूबर दीपावली के दिन दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे से मुंह मीठा करेंगे.

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भारत-चीन के बीच पिछले दिनों हुए एक समझौते के तहत महीने के आखिर तक सेनाओं के पीछे हटने का लक्ष्य रखा गया था. सोमवार को विदेश सचिव ने इसका ऐलान किया और मंगलवार से सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया. समझौते के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कजान में हुई बातचीत भी इसके तेजी से क्रियान्वयन में कारगर रही.

एरियल सर्वे आज पूरी होने की उम्मीद

सेना के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि दोनों स्थानों पर सेनाएं पीछे हट चुकी हैं, यानी अप्रैल 2020 में वे वहीं पर वापस पहुंच चुकी हैं. गुरुवार को एरियल सर्वे भी पूरा होने की उम्मीद है.

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सेना ने स्थानीय कमांडरों (आमतौर पर ब्रिगेडियर से नीचे कर्नल स्तर के अधिकारी) से बातचीत करके पेट्रोलिंग के तौर-तरीके का निर्धारण किया जाएगा, हालांकि सेना ने तिथि नहीं बताई है.

7 बिंदुओं पर था टकराव

कुल 7 स्थानों पर संघर्ष हुआ था, जिसमें से गलवान, पैंगौंग लेक उत्तर, पैंगौंग लेक दक्षिण, हॉट स्प्रिंग तथा गोगरा से सेनाएं पहले ही भाग गईं.

शेष 5 स्थानों पर होनी है गश्त

शेष 5 स्थानों पर भी पेट्रोलिंग शुरू होनी है, लेकिन यह समझौते में शामिल नहीं है; इसके लिए भारत और चीन अलग से बातचीत कर रहे हैं.

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आगे क्या होना है:

– स्थानीय कमांडर अब बातचीत करेंगे और अप्रैल 2020 की भांति डेपसांग और डेमचोक पर गश्त का तरीका तय करेंगे.

– डेपसांग और डेमचोक से सेनाओं में कटौती एक और महत्वपूर्ण कदम है. दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी जगहों पर लौट चुकी हैं, लेकिन वहां 50 से 50 हजार सेनाएं मौजूद हैं, जिसमें चरणबद्ध रूप से कटौती करनी होगी. दोनों देशों के बीच अगले महीने बातचीत शुरू होगी.

– क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं की नई पोस्टें भी हटा दी जाएंगी.

– अगले पांच स्थानों में भी यही समूची प्रक्रियाएं अपनानी होंगी.

एक्सपर्ट क्या कहते हैं

लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि डेपसांग और डेमचोक से सेनाओं की वापसी बहुत अच्छी बात है क्योंकि इससे शेष समस्याओं को हल करने का रास्ता खुल गया है. हालांकि, अप्रैल 2020 से पहले दोनों देशों की सेनाओं को अभी बहुत काम करना होगा, जो समय लेगा. टकराव पूरी तरह से खत्म होगा जब अतिरिक्त सेनाएं एलएसी से वापस लौटेंगी. – लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र सिंह (सेवानिवृत्त)

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