S Jaishankar On India-China Border Agreement: भारत-चीन के साथ हाल ही में हुए बॉर्डर (LAC) समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी बात रखी है। अपनी मुखर बात कहने के लिए फेमस विदेश मंत्री ने कहा कि समझौते का यह मतलब नहीं है कि दोनों देशों के बीच मुद्दे सुलझ गए हैं। हालांकि सैनिकों के पीछे हटने से अगले कदम पर विचार करने का मौका मिला है।  उन्होंने समझौते का श्रेय सेना को दिया, जिसने ‘‘बहुत ही अकल्पनीय’’ परिस्थितियों में काम किया।

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जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘(सैनिकों के पीछे हटने का) 21 अक्टूबर को जो समझौता हुआ, उसके तहत देपसांग और डेमचोक में गश्त की जाएगी। इससे अब हम अगले कदम पर विचार कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि सबकुछ हल हो गया है। हालांकि सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण है और हम उस स्तर तक पहुंचने में सफल रहे हैं।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “गश्त को रोका जा रहा था और यही वह बात है जिस पर हम पिछले दो वर्षों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। इसलिए 21 अक्टूबर को जो हुआ, वह यह था कि उन विशेष क्षेत्रों देपसांग और डेमचोक में, हम इस बात पर सहमत हुए कि गश्त उसी तरह शुरू होगी जैसे पहले हुआ करती थी। छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भरोसे को फिर से कायम करने और साथ मिलकर काम करने में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा।

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सेना को दिया श्रेय
जयशंकर ने कहा, ‘‘यदि आज हम यहां तक ​​पहुंचे हैं, तो इसका एक कारण यह है कि हमने अपनी बात पर अड़े रहने और अपनी बात रखने के लिए बहुत दृढ़ प्रयास किया है। सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में वहां (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया तथा कूटनीति ने भी अपना काम किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि एक समस्या यह भी रही कि पहले के वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे की वास्तव में उपेक्षा की गई थी।

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जयशंकर ने कहा, ‘आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रति वर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं। इन (कारकों) के संयोजन ने इसे इस मुकाम तक पहुँचाया है।

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भारत के बुनियादी ढांचे में सुधार

उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। एक समस्या यह भी रही कि पहले के वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे की वास्तव में उपेक्षा की गई थी। जयशंकर ने कहा कि आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रति वर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं।

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दोनों देशों के संबंध हुए प्रभावित
कुछ दिन पहले भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर समझौता हुआ था, जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। 2020 से, सीमा पर स्थिति बहुत अशांत रही है, जिसने निश्चित रूप से समग्र संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 से, भारत समाधान खोजने के लिए चीनियों के साथ बातचीत कर रहा है।

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