नई दिल्ली। साल 2021 के दौरान कोरोना वैक्सीनेशन एक बड़ा मुद्दा था. आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 के खिलाफ 1.4 बिलियन वैक्सीन खुराक दिसंबर के अंत तक भारतीयों को दी जा चुकी है, जो यकीनन दुनिया (चीन की गिनती नहीं) के इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे तेज टीकाकरण अभियान है. आईएएनएस-सीवोटर ट्रैकर ने लगातार दिखाया है कि लगभग 98 प्रतिशत शायद दुनिया में सबसे कम हिचकिचाहट दर के साथ पात्र (एलिजिबल) भारतीय वैक्सीन लेने को लेकर सहज थे. जनवरी 16, 2021 में जब स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्सीन अभियान शुरू किया गया था, तब भारत में कई आलोचकों ने इस सुझाव का मजाक उड़ाया था कि वर्ष के अंत तक एक अरब से अधिक खुराक दी जा सकती है.
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घरेलू विकसित कोवैक्सिन को घरेलू नियामक निकायों द्वारा अनुमोदित किया गया था. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन से आपातकालीन अनुमोदन प्राप्त करने से बहुत दूर था. घरेलू और साथ ही वैश्विक आलोचकों दोनों ने ‘अप्रयुक्त’ वैक्सीन को दी गई मंजूरी को ‘जल्दी’ करने के लिए सरकार की खिंचाई की, जैसे कि ‘मेड इन इंडिया’ फाइजर और मॉडर्ना जैसे टीके बहुराष्ट्रीय दिग्गजों द्वारा निर्मित की तुलना में स्वाभाविक रूप से हीन थे. भारतीय सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाए गए अन्य वैक्सीन कोविशील्ड के बारे में ऐसी कोई आशंका व्यक्त नहीं की गई थी, क्योंकि यह एक ‘विदेशी’ वैक्सीन का एक ऑफ शूट था. अंत में कोवैक्सिन और सरकार दोनों ने आलोचकों के खोखले दावों का पर्दाफाश किया.
न्यूजीलैंड की आबादी के दोगुने से भी अधिक लोगों को भारत में लगी कोरोना वैक्सीन
निश्चित रूप से शुरुआती चरणों में गड़बड़ी सामने आई थी, खासकर दूसरी लहर के समय जब केंद्र सरकार राज्यों की मांगों के आगे झुक गई थी कि उन्हें अपने स्वयं के टीके खरीदने का अधिकार और विकल्प दिया जाए. राज्य सरकारों का यह प्रयास एक अधूरी विफलता थी और जून 2021 में एक बार फिर केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आने के बाद चीजें पटरी पर आ गईं. तब से कई दिन हो गए हैं, जब भारत में प्रशासित दैनिक खुराक की संख्या 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर गई है, जो न्यूजीलैंड की आबादी के दोगुने से भी अधिक है, जहां अभी तक लोगों को पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है.
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