आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को कहा कि भारत को शक्तिशाली और आर्थिक रूप से मजबूत बनने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया सिर्फ आदर्शों का नहीं, बल्कि ताकत का भी सम्मान करती है।
कोच्चि में एक राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने घोषणा की कि भारत को अब अतीत की “सोने की चिड़िया” नहीं रहना है, बल्कि अब उसे “शेर” बनना होगा।
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भारत को आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनना होगा: मोहन भागवत
आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित ‘ज्ञान सभा’ में भागवत ने कहा, “यह जरूरी है क्योंकि दुनिया शक्ति को समझती है। इसलिए भारत को शक्तिशाली बनना होगा। उसे आर्थिक दृष्टि से भी समृद्ध बनना होगा।”
राष्ट्रीय पहचान पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि “भारत” एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है और इसका अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इंडिया भारत है। यह सच है। लेकिन भारत भारत है। इसलिए, बातचीत, लेखन और भाषण में, चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक, हमें भारत को भारत ही रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि किसी देश की पहचान को संरक्षित रखना जरूरी है ताकि उसका सम्मान हो।
उन्होंने कहा, “भारत की पहचान का सम्मान इसलिए है क्योंकि वह भारत है। अगर आप अपनी पहचान खो देते हैं, चाहे आपके कितने भी अच्छे गुण क्यों न हों, आपको इस दुनिया में कभी सम्मान या सुरक्षा नहीं मिलेगी। यही मूलमंत्र है।”
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शिक्षा को लेकर क्या बोले आरएसएस प्रमुख?
आरएसएस प्रमुख ने शिक्षा के उद्देश्य के बारे में भी विस्तार से बात की और कहा कि इससे व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से रहने और समाज में योगदान करने के लिए सक्षम बनाया जाना चाहिए। भारतीय शिक्षा त्याग और दूसरों के लिए जीना सिखाती है। उन्होंने कहा कि जो चीज स्वार्थ को बढ़ावा देती है उसे सच्ची शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
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