India Developing Bunker Busters Bomb: ईरान-इजरायल युद्ध में एंट्री लेते हुए अमेरिका ने 22 जून को ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर बंकर-बस्टर (GBU-57/A मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर्स) बम गिराए थे। यह बम पहाड़ों के बीच जमीन के अंदर 60 से 70 मीटर अंदर घुसकर विस्फोट हुआ था। इसके बाद बंकर-बस्टर बम ट्रेंड में चल रहा है। भारत भी भविष्य के तकनीक युद्ध को देखते हुए बंकर-बस्टर बम विकसित करने के प्रयास में जुट गया है। वैश्विक संघर्षों से सबक लेते हुए भारत एक नया और पावरफुल मिसाइल सिस्टम डेवलप कर रहा है, जो जमीन के काफी नीचे बने दुश्मन के परमाणु ठिकानों और अन्य रणनीतिक बुनियादी ढांचे को भेदने में सक्षम होगा। भारत अमेरिका से भी खतरनाक बंकर-बस्टर्स बम बना रहा है। जहां अमेरिका का बंकर बस्टर बम 60 से 70 मीटर अंदर जाकर विस्फोट करता है। वहीं भारत का यह बम 90 से 100 मीटर जमीन के अंदर जाकर विस्फोट करेगा।

ट्रंप-मस्क में ऐलान-ए-जंगः Elon Musk ने ‘खुली चुनौती’ दी तो आगबबूला हुए अमेरिकी राष्ट्रपति, कहा- ‘तुम्हारी दुकान बंद करनी पड़ेगी…,’

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारत के लिए बंकर-बस्टर्स बम बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। DRDO अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को ही मॉडिफाइड कर बंकर-बस्टर्स बम के रूप में डेवलप करेगा।

शुभांशु शुक्ला कंडोम पहनकर क्यों गए स्पेस? आखिर सभी एस्ट्रोनॉट्स Condom पहनकर क्यों जाते हैं? क्या वहां जाकर सेक्स करते हैं? वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

अग्नि-V के ओरिजिनल वर्जन का रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है। यह मिसाइल आमतौर पर न्यूक्लियर वारहेड कैरी करता है। जबकि इसका मॉडिफाइड वर्जन एक पारंपरिक हथियार होगा जो 7500 किलोग्राम के विशाल बंकर-बस्टर वारहेड ले जाने में सक्षम होगा। लेकिन इसकी विध्वंसक क्षमता और सटीकता उन्हें भारत के सामरिक शस्त्रागार में उपलब्ध एक दुर्जेय हथियार बनाएगी।

न्यूयॉर्क मेयर उम्मीदवार भारतवंशी जोहरान ममदानी ने हाथ से खाना खाया: अमेरिकी सांसद बोले- तौर-तरीके सीखो या अपने पिछड़े देश जाओ, Watch Video

जमीन के 100 मीटर नीचे बने दुश्मन के ठिकाने भी होंगे ध्वस्त

कंक्रीट की मजबूत परतों के नीचे बने दुश्मन के सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर हमला करने के लिए डिजाइन की गई यह मिसाइल विस्फोट से पहले 80 से 100 मीटर तक ड्रिल करके जमीन में नीचे घुसेगी। भारत द्वारा यह मिसाइल विकसित करने के पीछे अमेरिका की क्षमताओं से मेल खाने की उसकी मंशा को दर्शाता है, जिसने हाल ही में ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमला करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े पारंपरिक बंकर-बस्टर बम GBU-57/A का इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने ईरानी परमाणु संयंत्र पर कुल 14 GBU-57/A बम गिराए थे. GBU-57 और इसके पूर्ववर्ती GBU-43 (जिसे मदर ऑफ ऑल बम के नाम से जाना जाता है) ने डीप-पेनिट्रेशन वाले हथियारों के क्षेत्र में मानक स्थापित किए हैं।

प्रकृति की मार से थर्रा उठा हिमाचल प्रदेश; कंगना के लोकसभा क्षेत्र मंडी में 4 जगह बादल फटने से तबाही ही तबाही, ब्यास नदी उफान पर, शिमला में लैंडस्लाइड का कहर, स्कूल-कॉलेज बंद

भारतीय बंकर-बस्टर बमों को लॉन्च करने में कम खर्च आएगा

भारत द्वारा विकसित किए जा रहे GBU-57/A के स्वदेशी संस्करण का लक्ष्य और अधिक पेनिट्रेशन का है। अमेरिकी GBU-57/A बमों को ​गिराने के लिए, महंगे बमवर्षक विमानों की जरूरत पड़ती है। इसके उलट भारत अपने बंकर-बस्टर बमों को मिसाइल से टारगेट तक डिलीवर करने के लिए डिजाइन कर रहा है। यानी भारतीय बंकर-बस्टर बमों को लॉन्च करने में खर्च कम आएगा और इसके लिए महंगे बमवर्षक विमानों की जरूरत नहीं होगी।

मलबा उगल रहा ‘मुर्दा’: तेलंगाना दवा फैक्ट्री ब्लास्ट में अब तक 34 की मौत, 24 घंटे बाद भी रेस्क्यू जारी, आज सीएम रेवंत रेड्डी जाएंगे घटनास्थल

अग्नि-V के दो नए वर्जन डेवलप किए जा रहे

अग्नि-V के दो नए वर्जन डेवलप किए जा रहे हैं। एक में जमीन के ऊपर के टारगेट के लिए एयरबर्स्ट वारहेड की सुविधा होगी। जबकि दूसरा डीप-पेनिट्रेटिंग मिसाइल होगी जिसे कठोर भूमिगत ढांचे में घुसने के लिए डिजाइन किया गया है। पहला, एयरबर्स्ट यानी यह मिसाइल हवा में फटकर बड़े इलाके में धमाका करेगी और रनवे, एयरबेस और रडार सिस्टम तबाह कर देगी।

वहीं दूसरा, बंकर बस्टर वारहेड जो जमीन के अंदर 80 से 100 मीटर तक घुसकर धमाका करेगा और दुश्मन के भूमिगत कमांड सेंटर या परमाणु हथियार रखने वाली जगहों को नष्ट कर देगा। इस मिसाइल की रेंज 2500 किमी है या वैरिएंट विशेष रूप से भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।

एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप को ‘खुली चुनौती’ दी, बोले- ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ अगर पारित हुआ तो अगले ही दिन बनाऊंगा नई पार्टी

ध्वनि की गति से 8 से 20 गुना अधिक होगी स्पीड

स्पीड की बात करें तो इन मिसाइलों की गति मैक 8 से मैक 20 (ध्वनि की गति से 8 से 20 गुना अधिक) के बीच होने की उम्मीद है। ये अमेरिकी बंकर-बस्टर वेपन सिस्टम की स्पीड के बराबर होंगे, लेकिन इनकी पेलोड कैरी करने की क्षमता काफी अधिक होगी।

Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission LIVE: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, ISS के लिए हुए रवाना, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m