India-Maldives Relations: दो साल पहले की ही बात है, जब मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) चुनाव अभियान के दौरान भारत के खिलाफ हाथ धोकर पड़े थे। चीन परस्त मुइज्जू ने 2023 में मालदीव के राष्ट्रीय चुनावों में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। मुइज्जू का यह अभियान मालदीव में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी के खिलाफ था। तब उन्होंने कहा था कि वे सत्ता में आते ही मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों वापस लौटाएंगे। उन्होंने मालदीव चुनाव में भारतीय कंपनियों की मौजूदगी का मुद्दा बढ़ चढ़कर उठाया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मालदीव की परंपरा बदलते हुए मोहम्मद मुइज्जू अपनी पहली यात्रा पर दिसंबर 2023 में तुर्की गए, फिर जनवरी 2024 में उन्होंने चीन की यात्रा की। जबकि मालदीव में रवायत थी कि नए राष्ट्राध्यक्ष पहले भारत का दौरा करते थे।
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मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्ते काफी तल्ख हो गए। इसके बाद भारत में बायकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा। नतीजा यह हुआ कि भारतीयों ने मालदीव जाना बंद कर दिया और मालदीव को हर महीने अरबों रुपये का घाटा होने लगा। इसकी अर्थव्यवस्था डूबने लगी। एक समय ऐसा आया जब मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 440 मिलियन डॉलर बचा था। ऐसे में भारत ने ही मालदीव की मदद की।
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इन दो सालों में ही राष्ट्रपति मोइज्जू को और मालदीव के थिंक टैंक को भारत को नजरअंदाज करने का मतलब समझ में आ गया। 25 जुलाई को पीएम मोदी जब मालदीव की राजधानी माले पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए मालदीव की पूरी सरकार पलक पांवड़े बिछाए तैयार थी।
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मालदीव में भारतीय हेलीकॉप्टर और सैन्य विमान
पीएम मोदी के दौरे के पहले भारत ने बताया है कि देश मालदीव में नियमित रूप से हेलीकॉप्टर और सैन्य विमान का संचालन कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी है। ये वही सैन्य विमान हैं, जिसे लेकर मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के बीच तनाव पैदा हो गया था। मुइज्जू ने देश में तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों को हटाने की मांग की। ये सैनिक भारत से उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टर और एक सैन्य विमान के संचालन के लिए तैनात थे। बाद में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के बाद भारत ने सैन्यकर्मियों को वापस बुला लिया था।
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मुइज्जू की वो 3 मजबूरियां जो भारत-मालदीव को फिर से करीब ले आई
पर्यटन: मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान 28% है, जिसमें भारतीय पर्यटक सबसे बड़े समूह हैं। 2024 में “बायकॉट मालदीव” अभियान के बाद पर्यटकों की संख्या में 50,000 की कमी आई, जिससे $150 मिलियन का नुकसान हुआ. ऐसी स्थिति हुई कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारतीय पर्यटकों से मालदीव घुमने की अपील की। जब मालदीव और भारत के रिश्ते तल्ख थे तो पीएम मोदी ने लक्षद्वीप की अपनी एक तस्वीर जारी की थी। ये मालदीव के लिए एक संदेश जैसा था कि अगर रिश्ते नहीं सुधरे तो भारतीय सैलानियों के पास मालदीव के विकल्प के रूप में लक्षद्वीप जैसी सुंदर जगह है।
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आर्थिक संकट: मालदीव की अर्थव्यवस्था संकट में है। विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 में मात्र $440 मिलियन था जो डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त था। ऐसे मुश्किल मौके पर भारत ने मालदीव की मदद की। भारत ने 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप की सुविधा दी और 100 मिलियन डॉलक ट्रेजरी बिल रोलओवर के साथ महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की।
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इसके अलावा भारत अरबों रुपये का प्रोजेक्ट मालदीव में चला रहा है। ये प्रोजेक्ट मालदीव में बुनियाद ढांचे के विकास में अहम रोल अदा करेंगे। थिंक टैंक ओआरएफ ऑनलाइन के अनुसार मालदीव में भारत के सहयोग से बनाए जा रहे हनीमाधू हवाई अड्डा परियोजना और साथ ही 4,000 घरों के अगस्त 2025 से पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है।
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चीन की कर्ज जाल नीति: मालदीव पर चीन का $1.37 बिलियन कर्ज है, जो भारत की तुलना में जोखिम भरा है। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने महसूस किया कि भारत की आर्थिक सहायता अधिक विश्वसनीय है। उनका ये विचार भी उन्हें भारत की ओर लाया। मालदीव पर चीन का 1.37 बिलियन डॉलर का कर्ज उसकी जीडीपी का बड़ा हिस्सा है। यह कर्ज बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, जैसे हुलहुमाले ब्रिज और हवाई अड्डा विस्तार, के लिए मालदीव ने लिया था। इन परियोजनाओं की लागत अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई और मालदीव जैसे छोटे देश के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया।
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