India on China: तिब्ब्त (Tibet) के ग्लेशियरों से निकलने वाली यारलुंग सांगपो (Yarlung Zangbo River) नदी पर चीन दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रही है. चीन की यारलुंग त्सांगपो नदी जो भारत (India) के ब्रम्हपुत्र और बांग्लादेश (Bangladesh) की जमुना नदी में मिलती है. चीन (China) के इस फैसले पर भारत ने ऐतराज जताया है. डैम को लेकर भारत ने चिंता जताई है. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा कि चीन की इस परियोजना का असर नदी के निचले बहाव वाले देशों पर पड़ेगा. अब इस मामले में चीन की बयान सामने आया है.

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चीन की ओर से कहा गया है कि इस परियोजना में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पर्यावरण की सुरक्षा के साथ इसका निचले बहाव वाले देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव ना पड़े. चीन के इस परियोजना पर भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों ने सवाल खड़े कर चिंता जताई थी. एक बार फिर भारत ने यारलुंग त्सांगपो नदी पर चीन के विद्युत परियोजना के लिए बनाए जा रहे डैम के निर्माण से निचले तटीय राज्यों पर संभावित रूप से पड़ने वाले प्रभाव और अन्य समस्याओं पर भारत ने आवाज उठाई है.

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अमेरिका के NSA से विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात

मिली जानकारी के अनुसार डैम के मामले पर भारत के विदेश मंत्री एस जयंशकर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात करेंगे. अमेरिकी NSA जेक सुलिवन 5 और 6 जनवरी को भारत के दौरे पर रहेंगे. जेक सुलिवन के भारत यात्रा की अधिकारिक घोषणा व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को की है. इस दौरे से उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिकी एनएसए जो बाईडेन अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडेन के कार्यकाल में हुए भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय समझौते से हुए महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारें में भी बात करेंगे.

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बता दें कि चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो नदी पर विश्व के सबसे बड़े जलविद्युत बांध निर्माण योजना को मंजूरी देने की रिपोर्ट पिछले महीने सामने आई थी. इस डैम को लेकर अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हमने इंडो-पैसिफिक में देखा है कि चीन ने कई जगहों पर अपस्ट्रीम बांधो का निर्माण किया है. जो वास्तव में पर्यावरण को हानि पहुंचा सकते हैं. बल्कि डाउनस्ट्रीम देशों में जलवायु को प्रभावित कर सकता है . 

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