कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। भारत-पाक जंग हालात के बीच मध्य प्रदेश का ग्वालियर पूरी तरह से अलर्ट मोड़ पर है। इसी कड़ी में ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने इमरजेंसी स्थिति में शहर के नागरिकों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इसको लेकर महत्वपूर्ण बैठक ली। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में जिले के सभी छोटे-बड़े नर्सिंग होम और हॉस्पिटल संचालक शामिल हुए।

प्रमुख सचिव हेल्थ के द्वारा निर्देश मिले

कलेक्टर ने सभी अस्पतालों से उनके यहां मौजूद स्वास्थ्य संसाधनों की जानकारी मांगी है। कलेक्टर का कहना है कि ग्वालियर देश के 244 जिलों में से एक है जिसे सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स में शामिल किया गया है। यही वजह है कि हमने मॉक ड्रिल के जरिए अपनी हेल्थ सर्विसेज को जांचा और परखा था। इसको मजबूत करने के लिए प्रमुख सचिव हेल्थ के द्वारा निर्देश मिले हैं, ऐसे में युद्ध जैसे हालात के बीच सभी प्राइवेट नर्सिंग होम अस्पतालों के साथ महत्वपूर्ण बैठक ली गई है।

एंबुलेंस की भी मैपिंग की जा रही

जिस तरह हमने कोविड के समय तैयारी की थी, जिनमें बेड रिजर्व करने के साथ ही स्वास्थ्य संसाधनों को पूरी तरह से एक्टिव किया गया था। उसी तरह यदि कोई आपात स्थिति बनती है तो सभी मेंटल रूप से तैयार रहे इसको लेकर समीक्षा की गई है। सभी अस्पताल नर्सिंग होम को हर दिन जिला प्रशासन को 8 घंटे ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से जानकारी देने के भी निर्देश दिए गए हैं। एंबुलेंस की भी मैपिंग की जा रही है। इस एक्सरसाइज के जरिए हमारा प्रयास यही है कि रिस्पांस टाइम कम से कम हो सके।

एडिशनल सायरन के रूप में काम करेंगे

सभी अस्पतालों ने सहमति दी है कि वह अपने नर्सिंग होम अस्पतालों की छत पर सायरन लगाने जा रहे हैं। हम उनके कांटेक्ट में रहेंगे यदि हमारे पास कोई ब्लैकआउट की सूचना मिलती है कि तो यह एडिशनल सायरन के रूप में काम करेंगे। ग्वालियर का शहरी क्षेत्र काफी फैला हुआ है वार्ड को कवर करने के बाद भी मौजूदा सायरन का फ्लो उतना नहीं हो पा रहा है ऐसी स्थिति में अस्पतालों और नर्सिंग होम पर लगाए गए एडिशनल सायरन को इन्फॉर्म कर उन्हें अलर्ट कर बजाया जाएगा। ग्वालियर में मौजूद सीआरपीएफ, BSF अकेडमी, मुरार मिल्ट्री कैंट, वायुसेना स्टेशन और DRDE पूरी तरह से चौकस है।

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