India Pakistan War: पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइल के जरिए हमले की कोशिश की। हालांकि भारत ने इन हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया है। भारतीय सेना की आकाश, MRSAM, Zu-23, L-70, और शिल्का जैसी एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी हवाई खतरों को हवा में ही मार गिराया। जिससे भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ। ये प्रणालियां भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा रणनीति का मजबूत आधार हैं, जो दुश्मन के हवाई हमलों को तुरंत निष्प्रभावी करने में सक्षम हैं।
दरअसल, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को 25 मिनट में तबाह कर दिया। जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, चंडीगढ़ समेत अन्य 10 शहरों में ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की। लेकिन भारत की एकीकृत काउंटर-यूएएस (Unmanned Aerial System) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया।
वायु रक्षा प्रणालियों का परिचय और योगदान
भारत की वायु रक्षा प्रणालियां बहुस्तरीय रक्षा प्रदान करती हैं, जो लंबी दूरी की मिसाइलों से लेकर निम्न-उड़ान वाले ड्रोनों तक हर खतरे को नष्ट करने में सक्षम हैं। इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी हमले को नाकाम करने में निर्णायक भूमिका निभाई।
आकाश मिसाइल प्रणाली
आकाश DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो भारतीय सेना और वायुसेना की रीढ़ है। यह प्रणाली अपनी सटीकता और गतिशीलता के लिए जानी जाती है।
विशेषताएं
- रेंज: 25-30 किमी
- लक्ष्य: लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें
- ऊंचाई: 18 किमी तक
- मार्गदर्शन: रडार-आधारित कमांड मार्गदर्शन
- सटीकता: 90 प्रतिशत से अधिक
- तैनाती: मोबाइल लांचर
योगदान: आकाश ने श्रीनगर की ओर बढ़ रहे एक पाकिस्तानी JF-17 फाइटर जेट को नष्ट किया। इसने कई ड्रोनों और मिसाइलों को हवा में ही ट्रैक और नष्ट कर भारत के सैन्य ठिकानों की रक्षा की।
MRSAM (मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल)
MRSAM भारत और इज़राइल के संयुक्त सहयोग से विकसित Barak-8 मिसाइल का हिस्सा है। यह प्रणाली सेना, नौसेना, और वायुसेना में तैनात है और लंबी दूरी के हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम है।
विशेषताएं
- रेंज: 70-100 किमी
- लक्ष्य: लड़ाकू विमान, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल
- ऊंचाई: 20 किमी तक
- मार्गदर्शन: सक्रिय रडार होमिंग और बहु-कार्य रडार
- सटीकता: बहु-लक्ष्य ट्रैकिंग के साथ उच्च सटीकता
- तैनाती: मोबाइल और नवल प्लेटफॉर्म
योगदान: उत्तरी और पश्चिमी भारत में पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को बेअसर करने में MRSAM का योगदान महत्वपूर्ण रहा। इसकी लंबी दूरी और कई लक्ष्यों पर नजर रखने की क्षमता ने सुनिश्चित किया कि कोई भी पाकिस्तानी मिसाइल अपने लक्ष्य तक न पहुंच पाए।
Zu-23-2
Soviet-era Zu-23-2 एक दो बैरल वाली 23 मिमी विमान भेदी तोप है, जिसे भारतीय सेना और वायुसेना में निम्न-ऊंचाई रक्षा के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
विशेषताएं
- रेंज: 2.5 किमी
- लक्ष्य: कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन, हेलीकॉप्टर, विमान
- गति: 970 मी/से
- मार्गदर्शन: ऑप्टिकल दृष्टि और रडार आधारित ट्रैकिंग
- तैनाती: मोबाइल और स्टैटिक
योगदान: Zu-23-2 ने उधमपुर और अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तानी Low-Flying Drones को नष्ट किया। इसकी Rapid-Fire Capability ने इसे छोटे हवाई खतरों के खिलाफ प्रभावी बनाया।
L-70
स्वीडिश मूल का एल-70 एक 40 मिमी विमान भेदी तोप है, जिसे भारत ने अपग्रेड किया है। यह Low-Altitude Threats के खिलाफ भारतीय सेना की रक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विशेषताएं
- रेंज: 4 किमी
- लक्ष्य: ड्रोन, हेलीकॉप्टर, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान
- गति: 300 Rounds/Min
- मार्गदर्शन: रडार आधारित अग्नि नियंत्रण प्रणाली
- तैनाती: स्टैटिक और मोबाइ
योगदान: L-70 ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी ड्रोनों को मार गिराया। इसकी सटीकता और तेजी से फायरिंग ने इसे युद्धक्षेत्र में प्रभावी बनाया।
शिल्का (ZSU-23-4)
शिल्का एक Self-Propelled Anti-Aircraft Gun है, जिसमें चार 23 mm Cannons हैं। यह भारतीय सेना की Low-Altitude Defence का अभिन्न हिस्सा है।
विशेषताएं
- रेंज: 2.5 किमी
- लक्ष्य: ड्रोन, हेलीकॉप्टर, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान
- गति: 4000 Rounds/Min
- मार्गदर्शन: Radar और Optical Tracking
- तैनाती: Armored Vehicle-Mounted
योगदान: शिल्का की High Rate of Fire ने उधमपुर और अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तानी ड्रोनों को नष्ट करने में मदद की। इसकी Mobility और Radar-Based Tracking ने इसे अत्यंत प्रभावी बनाया।
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