नई दिल्ली। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2026 तक जापान से बड़ा हो सकता है, जिससे यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यह बात जापान टाइम्स में प्रकाशित लेख कैपिटल इकोनॉमिक्स के एशिया-प्रशांत प्रमुख मार्सेल थिएलिएंट सहित जापान के कुछ अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा पर आधारित है.

समाचार आइटम में थिएलिएंट के हवाले से कहा गया है, “मौजूदा पूर्वानुमानों के आधार पर हमें उम्मीद थी कि भारत 2026 में जापान से आगे निकल जाएगा. हाल की घटनाओं के मद्देनजर पूर्वानुमानों की वर्तमान में समीक्षा की जा रही है.” हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 2025 में बदलाव की उम्मीद कर रहा है. लेख में कहा गया है कि एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स 2030 में दोनों देशों के स्थान बदलने की उम्मीद कर रही है.

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, भारत के पक्ष में काम करने वाले कारक यह हैं कि देश ने वर्ष 2000 के बाद से आर्थिक क्षमता के मामले में लगातार तरक्की की है, और वर्ष 2022 में इसका सकल घरेलू उत्पाद यूके से आगे निकल चुका है. भारत अब डॉलर के बजाय 27 देशों के साथ रुपए का उपयोग करके व्यापार करता है, जो वैश्विक व्यापार में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है.

आईएमएफ का अनुमान है कि भारत का नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2025 तक 4.339 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो जापान के 4.310 ट्रिलियन डॉलर से अधिक होगा. यह दृष्टिकोण भारत के मजबूत विकास प्रक्षेपवक्र को रेखांकित करता है, जो जापान पर महत्वपूर्ण बढ़त दर्शाता है.

अर्थशास्त्री बताते हैं कि दूसरी ओर, जापान लगातार आवर्ती मंदी और दशकों से चली आ रही अपस्फीति से जूझ रहा है. जापान की परेशानियाँ इसकी बढ़ती उम्र की आबादी और सभी क्षेत्रों में कम उत्पादकता के कारण और भी बढ़ गई हैं. कमजोर येन भी इन रैंकिंग में सुदूर-पूर्वी देश की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है. इसके अलावा परिवर्तन और डिजिटलीकरण के प्रतिरोध के कारण जापान में संरचनात्मक सुधार विफल हो गए हैं. लंबे समय से कार्यरत कर्मचारी अक्सर नए तरीकों की तुलना में पारंपरिक तरीकों को प्राथमिकता देते हैं.

2023 में दशकों के ठहराव के बाद जापान की वृद्धि 1.9 प्रतिशत पर आ गई. आईएमएफ ने 2024 में इसे केवल 0.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है. चीन और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाएँ पहले ही जापान से आगे निकल चुकी हैं, जो 2010 तक निर्विवाद रूप से दूसरे स्थान पर था.

पिछले दशक में बहुपक्षीय कूटनीति और वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत का प्रभाव एक आर्थिक शक्ति के रूप में देश के प्रक्षेपवक्र का संकेत है. भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए एशिया पावर इंडेक्स में तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गई है, जो इसके बढ़ते भू-राजनीतिक कद को दर्शाता है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत आर्थिक क्षमता, सैन्य क्षमता और कूटनीतिक प्रभाव के मामले में अपने उन्नत प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकल रहा है. खुशी की बात यह है कि देश अपनी तीव्र वृद्धि के साथ बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा लगाए गए वैश्विक अनुमानों को धता बताते हुए जापान को पीछे छोड़कर विश्व स्तर पर चौथा स्थान प्राप्त करने के लिए लगभग तैयार है.”