India Rare Earth Magnet Manufacturing Scheme: भारत सरकार ने चीन की बढ़ती पाबंदियों और भविष्य की तकनीकी जरूरतों को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र ने 7,280 करोड़ रुपये की लागत वाली रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को मंजूरी दे दी है. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया.

यह पहली बार है जब भारत में इतनी बड़ी क्षमता 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) वाले रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन शुरू होगा.

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India Rare Earth Magnet Manufacturing Scheme
India Rare Earth Magnet Manufacturing Scheme

रेयर अर्थ मैग्नेट्स क्यों खास हैं?

रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स दुनिया के सबसे ताकतवर मैग्नेट माने जाते हैं. इनका इस्तेमाल हर उस तकनीक में होता है जो तेजी से आगे बढ़ रही है:

  • इलेक्ट्रिक कारें (EV)
  • पवन ऊर्जा और सोलर तकनीक
  • मोबाइल–लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
  • मिसाइल–राडार और रक्षा उपकरण
  • एयरोस्पेस और रोबोटिक्स

या कहें कि आधुनिक तकनीक की रीढ़ यही मैग्नेट हैं. अभी भारत इन मैग्नेट्स के लिए ज्यादा निर्भर चीन पर है. चीन दुनिया की REPM सप्लाई चेन का सबसे बड़ा केंद्र है और निर्यात में प्रतिबंध भारत के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं.

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सरकार क्या करने जा रही है?

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह योजना शुरू होने के बाद भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट्स बनाने का पूरा सेटअप तैयार होगा. इसमें सारी प्रक्रियाएं शामिल होंगी:

  1. रेयर अर्थ ऑक्साइड – धातु (Metal)
  2. धातु – मिश्रधातु (Alloy)
  3. मिश्रधातु – तैयार मैग्नेट

मतलब कच्चे माल से लेकर पूरी तरह तैयार मैग्नेट तक सब कुछ देश के अंदर ही बनेगा.

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2030 तक मांग दोगुनी होने की उम्मीद

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रीन एनर्जी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. अनुमान है कि:

  • 2025 की तुलना में 2030 तक REPM की मांग दोगुनी हो जाएगी.

यानी अभी से तैयारी जरूरी है. सरकार इसी को देखते हुए उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है.

योजना का पूरा खर्च, कहां कितना पैसा?

योजना का कुल बजट ₹7,280 करोड़ है. इसमें शामिल है:

  • ₹6,450 करोड़ – 5 साल तक बिक्री पर मिलने वाला इंसेंटिव
  • ₹750 करोड़ – उत्पादन संयंत्र (फैक्टरी) स्थापित करने के लिए सहायता

सरकार 5 कंपनियों को यह उत्पादन क्षमता देगी, और हर कंपनी को अधिकतम 1,200 MTPA क्षमता मिलेगी.

यह योजना 7 साल तक चलेगी:

  • पहले 2 साल: प्लांट सेटअप
  • अगले 5 साल: बिक्री पर इंसेंटिव

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आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

सरकार का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से:

  • भारत रेयर अर्थ मैग्नेट्स में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनेगा
  • आयात पर निर्भरता कम होगी
  • घरेलू उद्योगों को स्थिर और सस्ते मैग्नेट मिल सकेंगे
  • हज़ारों रोजगार पैदा होंगे
  • भारत का 2070 Net Zero लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी

कैबिनेट की अन्य बड़ी मंजूरियां

REPM स्कीम के अलावा कैबिनेट ने कई और अहम फैसलों पर मुहर लगाई:

1. 7,000 करोड़ की ‘दुर्लभ मृदा अन्वेषण’ योजना

सरकार ने दुर्लभ मृदा (Rare Earth Elements) की खोज के लिए 7 साल की योजना को मंजूरी दी है. इससे भविष्य में कच्चे माल की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित होगी.

2. पुणे मेट्रो फेज–2 का विस्तार

कैबिनेट ने पुणे मेट्रो की नई लाइनों को मंजूरी दी:

  • लाइन 4: खरडी–हडपसर–स्वारगेट–खडकवास्ला
  • लाइन 4A: नल स्टॉप–वारजे–मानिक बाग
  • इन दोनों लाइनों की कुल लंबाई: 31.636 किमी
  • कुल स्टेशन: 28
  • अनुमानित लागत: ₹9,857.85 करोड़

ये लाइनें IT पार्क, कॉलेज, बिजनेस एरिया और रिहायशी इलाकों को आपस में जोड़ेंगी. 5 साल में पूरा होने का लक्ष्य है.

3. रेलवे के दो बड़े प्रोजेक्ट मंजूर

आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने:

  • देवभूमि द्वारका (ओखा) – कानालुस लाइन का डबलिंग (145 किमी)
  • बदलापुर – कर्जत तीसरी और चौथी लाइन (32 किमी)

पर मंजूरी दी है. दोनों की कुल लागत: ₹2,781 करोड़

इनसे रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ेगी, ट्रेनें समय से चल सकेंगी और कंजेशन कम होगा.

सरकार का कहना है कि यह परियोजना भारत को REPM उत्पादन में वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाएगी और घरेलू उद्योगों के लिए REPM आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाएगी. यह कदम 2047 तक विकसित भारत के विजन और नेट जीरो 2070 लक्ष्य की दिशा में एक अहम मील का पत्थर है.

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