Sergey Lavrov On India-Russia Relationship: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार रात संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में रूस का प्रतिनिधित्व किया। अपने भाषण में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत की झोली भर-भरकर तारीफ तारीफ की। रूसी विदेश मंत्री ने विश्व की राजनीति में भारत के बढ़ते कदम को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा भारत के स्थायी सदस्यता का वकालत किया। उन्होंने पीएम मोदी और जयशंकर की विदेश नीति की सराहना की। इस दौरान उन्होंने बताया कि भारत-रूस के बीच इतने गहरे संबंध क्यों है।

सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं। हमारे बीच एक रणनीतिक साझेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत अपने फैसले लेने में सक्षम है। भारत के निर्णय में रूस का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होता है। साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत होती रहती है।

लावरोव ने कहा कि भारत और अमेरिका या भारत और किसी अन्य देश के बीच जो स्थितियां उत्पन्न होती हैं, मैं उन्हें भारत और रूस के रिश्तों का मानदंड नहीं मानता। हमारे बीच एक रणनीतिक साझेदारी है, लंबे समय से हम इसे रणनीतिक साझेदारी कहते हैं। एक समय पर हमारे भारतीय मित्रों ने इस शब्द को पूरक बनाने का प्रस्ताव रखा और अब हम इसे विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी कहते हैं।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान तिआनजिन में मिले थे। दिसंबर में पुतिन की भारत यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा द्विपक्षीय एजेंडा बहुत व्यापक है, जिसमें व्यापार, सैन्य और तकनीकी सहयोग, वित्त, मानवीय मामलों, स्वास्थ्य सेवा, उच्च तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और निश्चित रूप से एससीओ, ब्रिक्स और द्विपक्षीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय शामिल है।

भारतीय विदेश नीति और तेल खरीद को रूसी समर्थन

भारत की ओर से रूस से तेल आयात पर पूछे गए सवाल पर लावरोव ने कहा कि रूस भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना की। लावरोव ने कहा कि भारत पूरी तरह सक्षम है यह तय करने के लिए कि वह किससे क्या खरीदे। अगर अमेरिका भारत को तेल बेचना चाहता है तो भारत शर्तों पर चर्चा कर सकता है, लेकिन यह उसका संप्रभु फैसला है कि वह किस देश से क्या खरीदे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों का भारत-रूस साझेदारी से कोई टकराव नहीं है।

 मैं जल्द भारत का दौरा करूंगा

लावरोव ने कहा कि इस साल भारत के विदेश मंत्री और मेरे सहयोगी जयशंकर रूस का दौरा करेंगे और मैं भारत का दौरा करूंगा। हमारे बीच नियमित रूस से विचारों का आदान-प्रदान होता रहता है। लावरोव ने कहा कि मैं यह भी नहीं पूछ रहा कि हमारे व्यापारिक संबंधों या हमारे तेल का क्या होगा। मैं अपने भारतीय सहयोगियों से यह सवाल नहीं करता, क्योंकि वे ये फ़ैसले ख़ुद लेने में पूरी तरह सक्षम हैं।

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