S Jaishankar Called Taliban Foreign Minister: एक कहावत तो आपने सुनी होगी- दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। जी हां.. भारत (India) भी अब कुछ ऐसे ही सिद्धांत पर चल रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान पर कई कड़े प्रतिबंध लगाने के बाद भारत अब उसे बाकी दुनिया से अलग-थलग करने में जुट गया है। इसी के तहत भारत अब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ राजनयिक संबंध बढ़ाने शुरू कर दिए है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आज (गुरुवार) सुबह को अफगानिस्तान के तालिबान शासित शासन के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) से पहली बार आधिकारिक बातचीत की। इस बातचीत में भारत-अफगान पारंपरिक मित्रता, विकास सहयोग और हालिया पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से उठे।

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यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब तालिबान सरकार ने पहलगाम हमले की सार्वजनिक तौर पर निंदा की थी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 7 मई को हुए इस आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसमें पाक समर्थित आतंकी शामिल थे। विदेश मंत्री का यह कदम भारत-तालिबान रिश्ते (India-Taliban Relations) को नये आयाम देने वाला माना जा रहा है।

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इस ऐतिहासिक बातचीत में जयशंकर ने अफगान जनता के साथ भारत की पारंपरिक मित्रता को रेखांकित करते हुए उनके विकास की जरूरतों के लिए निरंतर समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई। गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने अभी तक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है।

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भारतीय विदेश मंत्र ने तालिबान शासित शासन के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया एक्श पर भी शेयर की है। जयशंकर ने लिखा कि- आज शाम कार्यवाहक अफ़गान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई।पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं तहे दिल से सराहना करता हूँ। झूठी और निराधार रिपोर्टों के ज़रिए भारत और अफ़गानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हाल के प्रयासों को उनकी दृढ़ अस्वीकृति का स्वागत किया।

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अफ़गान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और उनकी विकास आवश्यकताओं के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित किया। सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की।

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भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी

बता दें कि यह पहली बार है जब भारत और तालिबान के बीच राजनीतिक स्तर पर आधिकारिक संवाद हुआ है, जबकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। इससे पहले जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की थी।

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इससे पहले ऐसा संपर्क वर्ष 1999-2000 में देखा गया था, जब भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान तालिबान के तत्कालीन विदेश मंत्री वक़ील अहमद मुत्तवाकिल से बातचीत की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता भारत की रणनीतिक कूटनीति का हिस्सा है, जिसमें वह तालिबान से सीधे संवाद बनाकर अफगान जनता के साथ संपर्क और क्षेत्रीय स्थिरता को साधने की कोशिश कर रहा है।

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