नई दिल्ली। चीन की कुटिल चाल को समझते हुए भारत ने एक बार फिर उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्वस्त कर दिया. चीन के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के संयुक्त ग्रुप AUKUS के खिलाफ लाने वाले प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा था, लेकिन प्रस्ताव पारित होने से पहले ही भारत ने ऐसा कदम उठाया कि चीन को यह प्रस्ताव वापस लेना पड़ गया.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने चीन का सामना करने के उद्देश्य से 2021 में AUKUS नाम का एक ग्रुप भी बनाया है. इस परियोजना के तहत तीनों देश मिलकर ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करेंगे. इस पार्टनरशिप ने चीन की चिंता काफी बढ़ा दी है. चीन ने इसे परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन बताया था और इस मसले पर AUKUS के खिलाफ IAEA में प्रस्ताव पारित करने की कोशिश में लगा हुआ था.

IAEA के सम्मेलन में इस मामले पर विचार-विमर्श हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों में से ज्यादातर ने AUKUS संगठन को लेकर अपना विश्वास व्यक्त किया. इन देशों ने IAEA में और ज्यादा पारदर्शिता और अप्रसार आश्वासनों की जरूरत को रेखांकित किया. IAEA के महानिदेशक को 23 अगस्त 2022 को चीन की तरफ से एक अनुरोध किया गया. इसमें परमाणु सामग्री के हस्तांतरण से जुड़े सभी पहलुओं और AUKUS को 66वीं जनरल कांफ्रेंस की चर्चा के लिए शामिल करने की बात कही गई. 

सूत्रों के मुताबिक, चीन के यह प्रस्ताव IAEA में आने के बाद भारत ने अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल करना शुरू किया. भारत ने IAEA के कई छोटे देशों को इस प्रस्ताव के खिलाफ काम करने के लिए मना लिया. इसके लिए वियना में भारतीय मिशन ने IAEA के कई सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया. भारत की सफल कूटनीति का ये असर हुआ कि चीन को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा.

जब चीन को यह भरोसा हो गया कि इस प्रस्ताव पर उसे बहुमत हासिल नहीं होगा तो 30 सितंबर को उसने अपना मसौदा वापस ले लिया. सूत्रों के मुताबिक, भारत की इस भूमिका और कूटनीतिक पैंतरेबाजी की IAEA के सदस्य देशों ने तारीफ की. इसमें खासतौर पर AUKUS के सदस्य  देश शामिल हैं.

बता दें कि IAEA की नीति-निर्माण बॉडी एजेंसी के कार्यक्रमों और बजटों का निर्धारण करती हैं. इनमें सभी सदस्य देशों के आम सम्मेलन और 35 सदस्यीय बोर्ड ऑफ गवर्नर्स शामिल होते हैं. आम सम्मेलन आमतौर पर सितंबर में वियना में आईएईए मुख्यालय में हर साल आयोजित किया जाता है. भारत को 2021-2022 के लिए इस बोर्ड का सदस्य बनाया गया है.

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