India Trade Deficit November 2025: अमेरिका के टैरिफ और दुनिया भर में चल रही आर्थिक अनिश्चितता के बीच भारत के लिए एक राहत भरी खबर आई है. नवंबर महीने के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश का व्यापार घाटा कम हुआ है और यह पिछले पांच महीनों में सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट घटकर 24.53 बिलियन डॉलर रह गया. इससे पहले अक्टूबर में हालात काफी बिगड़े हुए थे, जब यह घाटा 41.68 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. ऐसे में नवंबर के आंकड़ों ने यह संकेत दिया है कि स्थिति धीरे-धीरे संभल रही है.
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जितना सोचा था, उससे बेहतर रहे नतीजे
अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों का अंदाजा था कि नवंबर में व्यापार घाटा करीब 32 बिलियन डॉलर तक रहेगा. लेकिन जो आंकड़े सामने आए, वे उम्मीद से काफी बेहतर निकले. इसका मतलब यह है कि दबाव के बावजूद भारत का निर्यात पूरी तरह से नहीं टूटा.
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अमेरिका को भेजा गया ज्यादा सामान
नवंबर में एक अच्छी बात यह रही कि भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामान में साफ बढ़ोतरी देखी गई. महीने-दर-महीने आधार पर देखें तो अमेरिका को होने वाला निर्यात करीब 10 फीसदी बढ़ा और यह लगभग 6.92 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
सालाना तुलना करें तो बढ़ोतरी 21 फीसदी से भी ज्यादा रही. इससे यह साफ होता है कि अमेरिकी टैरिफ के बावजूद वहां भारतीय उत्पादों की मांग बनी हुई है.
कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने भी कहा है कि भारत ने अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति को कमजोर नहीं पड़ने दिया है और आगे हालात और बेहतर हो सकते हैं.
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कम इंपोर्ट से मिली बड़ी राहत
नवंबर में भारत का इंपोर्ट भी पहले के मुकाबले कम हुआ है. अक्टूबर में जहां देश ने 76.06 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट किया था, वहीं नवंबर में यह घटकर 62.66 बिलियन डॉलर रह गया.
इसका सबसे बड़ा कारण सोना, कच्चा तेल और कोयले की कम खरीद रहा. इन चीजों पर खर्च घटते ही व्यापार घाटा अपने आप नीचे आ गया.
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निर्यात में भी दिखी हरकत
नवंबर में भारत का कुल मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट बढ़कर 38.13 बिलियन डॉलर हो गया. अक्टूबर में यह आंकड़ा 34.38 बिलियन डॉलर था. यानी सिर्फ एक महीने में ही निर्यात में अच्छी खासी बढ़त देखने को मिली.
यह दिखाता है कि वैश्विक हालात कठिन होने के बावजूद भारतीय निर्यातक किसी तरह बाजार में टिके हुए हैं और ऑर्डर हासिल कर रहे हैं.
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सरकार के फैसलों का असर दिखा
अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बीते महीनों में कई कदम उठाए हैं. टैक्स से जुड़ी राहत, निर्यात बढ़ाने वाली योजनाएं और श्रम सुधार जैसे फैसलों का असर अब धीरे-धीरे नजर आने लगा है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों से बातचीत भी की थी, ताकि भारत के जरूरी निर्यात सेक्टर्स को राहत मिल सके.
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सर्विस सेक्टर ने संभाली स्थिति
जहां सामान के व्यापार में सुधार हुआ, वहीं सर्विस सेक्टर ने भारत को मजबूत सहारा दिया. नवंबर में सर्विसेज एक्सपोर्ट करीब 35.86 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है, जबकि सर्विसेज इंपोर्ट 17.96 बिलियन डॉलर रहा.
इस वजह से सर्विस ट्रेड में करीब 17.9 बिलियन डॉलर का सरप्लस बना, जिसने कुल व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई.
फिलहाल हालात संभलते दिख रहे हैं
कुल मिलाकर कहा जाए तो अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक दबाव के बावजूद भारत के विदेशी व्यापार की स्थिति फिलहाल संभलती नजर आ रही है. निर्यात में बढ़त, इंपोर्ट में कमी और सर्विस सेक्टर की मजबूती ने मिलकर बड़ी राहत दी है.
अगर आने वाले महीनों में यही रुझान बना रहता है, तो व्यापार घाटा और घट सकता है और अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिल सकती है.
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