भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा होने वाला है. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत जल्द ही फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की डील को फाइनल करेगा. यह समझौता सरकारी स्तर पर हो रहा है, इसलिए प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. गौरतलब है कि, यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब रूस ने भारत को न्यूक्लियर सबमरीन देने को लेकर सहमति जताई है.
सीसीएस से मंजूरी बाकी
एडमिरल के मुताबिक, यह सौदा बातचीत के अंतिम दौर में है और इसे जल्द ही कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के पास भेजा जाएगा. जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने इस खरीद को मंजूरी दी थी. इन विमानों की तैनाती मुख्य रूप से भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर की जाएगी.
ट्रेनिंग 2026 से शुरू, कीमत 63,000 करोड़ के करीब
नौसेना पायलटों की ट्रेनिंग 2026 से फ्रांस की नेवी के साथ शुरू हो जाएगी ताकि विमान आते ही ऑपरेशन शुरू किया जा सके. पूरा सौदा करीब 63,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें मेंटेनेंस, लॉजिस्टिक और टेक्निकल सपोर्ट भी शामिल है.
राफेल-एम में कई आधुनिक क्षमताएं
स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, जो इसे लगभग स्टेल्थ बनाता है.
हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता.
हवा, पानी और जमीन – तीनों दिशाओं में हमला करने की शक्ति
मिसाइल विकल्प: मेटियोर, स्कैल्प, एक्सोसैट आदि
30mm ऑटो-कैनन और 14 हार्डप्वाइंट
यह जेट एंटी-शिप, निगरानी, जासूसी, और हाई-प्रिसिजन अटैक मिशन के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है.
2029 से शुरू होगी डिलीवरी
डील पर हस्ताक्षर होने के बाद फ्रांस 4 साल में जेट की सप्लाई शुरू करेगा. डिलीवरी का संभावित टाइमलाइन इस प्रकार है:
- 2029 के आखिर तक पहले 4 राफेल-M उपलब्ध होंगे
- 2030 में अगला बैच आएगा
- 2031 तक सभी 26 विमान नौसेना में शामिल हो जाएंगे
इनमें 22 सिंगल-सीटर लड़ाकू विमान और 4 ट्रेनिंग के लिए ट्विन-सीटर विमान होंगे. इसी अवधि में अमेरिका से मिलने वाले MQ-9B ड्रोन भी भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमता बढ़ाएंगे.
रूस भारत को देगा परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले रक्षा के क्षेत्र में बड़ी खुशखबरी आई है. भारत और रूस के बीच न्यूक्लियर सबमरीन को लेकर करार हुआ है. रूस सबमरीन परमाणु संयत्र से चलने वाली एसएसएन (चक्र क्लास) सबमरीन भारत को लीज पर देगा. रूस ने 2028 तक इस न्यूक्लियर सबमरीन को रिफिट कर देने का भरोसा दिया है. नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारत चाहता है कि उसे यह न्यूक्लियर सबमरीन साल 2027 तक मिल जाए.
चीन और पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री प्रभाव का जवाब
भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान अपनी नौसैनिक क्षमताएं तेजी से बढ़ा रहे हैं. चीन ने जे-15 सीरीज के कैरियर आधारित विमान तैनात कर दिए हैं और पाकिस्तान को नई पनडुब्बियां मिल रही हैं. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि ‘हम हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं और हमारी तैयारी उस स्तर पर है, जहां राफेल-मरीन बड़ा बदलाव लाएगा.’
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