Indian AI Stock: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी और इससे जुड़े स्टॉक्स इन दिनों तेज़ी से बढ़ रहे हैं. हालांकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस साल दुनिया का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला AI स्टॉक एक भारतीय कंपनी का है. इस कंपनी के शेयर पिछले 20 महीनों में 55,000 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ चुके हैं. हालांकि इतनी तेज़ी के साथ अब संभावित “AI बबल” को लेकर चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं.

यह भारतीय कंपनी RRP सेमीकंडक्टर लिमिटेड है. कुछ समय पहले तक इस कंपनी के बारे में बहुत कम लोग जानते थे, लेकिन अब यह अपने जबरदस्त रिटर्न की वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा के मार्केट कैप वाली दुनिया की कंपनियों में RRP का रिटर्न सबसे ज्यादा रहा है. 17 दिसंबर तक इसके शेयर पिछले 20 महीनों में 55,000 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ चुके थे.

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Indian AI Stock
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हालांकि इस मल्टीबैगर रिटर्न के पीछे कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही है. हालिया नतीजों में कंपनी का रेवेन्यू नेगेटिव रहा है. सालाना रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी में सिर्फ दो फुल-टाइम कर्मचारी हैं और सेमीकंडक्टर या AI बूम से इसका सीधा कनेक्शन भी कमजोर माना जाता है. कंपनी ने 2024 की शुरुआत में रियल एस्टेट बिजनेस छोड़कर खुद को सेमीकंडक्टर कंपनी के रूप में रीब्रांड किया था.

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सोशल मीडिया क्रेज और सीमित शेयर

विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा, बाजार में बहुत कम फ्री-फ्लोट शेयर और भारत में तेजी से बढ़ते रिटेल निवेशकों की संख्या ने इस स्टॉक को असाधारण ऊंचाई तक पहुंचा दिया. शेयर में लगातार 149 दिनों तक अपर सर्किट लगा. यह सब तब हुआ, जब एक्सचेंज अधिकारी और कंपनी खुद निवेशकों को इस तेजी को लेकर सावधान कर रहे थे.

अब इस रैली में थकावट के संकेत दिखने लगे हैं. 7 नवंबर को शेयर अपने ऑल-टाइम हाई से करीब 6 प्रतिशत गिर गया. इसके अलावा SEBI ने इस तेजी के पीछे संभावित गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी है. स्टॉक एक्सचेंज ने RRP के शेयरों में ट्रेडिंग को हफ्ते में सिर्फ एक दिन तक सीमित कर दिया है.

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भारत में AI कंपनियों की कमी, निवेशकों के लिए दुविधा

RRP की कहानी को सीधे तौर पर वैश्विक AI बूम से जुड़ा हुआ नहीं माना जा रहा है, लेकिन यह भारत की एक बड़ी समस्या को उजागर करती है. भारतीय शेयर बाजार में AI या सेमीकंडक्टर सेक्टर की बहुत कम लिस्टेड कंपनियां हैं. इसी वजह से रिटेल निवेशक किसी भी ऐसे स्टॉक की ओर आकर्षित हो जाते हैं, जिसका नाम AI या चिप सेक्टर से जुड़ा हो.

राइट रिसर्च एंड कैपिटल की फाउंडर सोनम श्रीवास्तव कहती हैं, “सेमीकंडक्टर सेक्टर इस समय बेहद हॉट है. भारत में विकल्प कम होने की वजह से निवेशक लगभग हर ऐसे नाम पर दांव लगाने को तैयार हैं.”

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नाम बदलते ही बदल गई कहानी

RRP का मौजूदा स्वरूप 2024 की शुरुआत में सामने आया, जब RRP ग्रुप के फाउंडर राजेंद्र चोडणकर ने G D ट्रेडिंग एंड एजेंसीज लिमिटेड का अधिग्रहण किया. अप्रैल 2024 में प्रमोटर ग्रुप को 12 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयर अलॉट किए गए, जो उस समय के बाजार भाव से करीब 40 प्रतिशत कम था. इसके बाद कंपनी का नाम बदलकर RRP सेमीकंडक्टर लिमिटेड कर दिया गया.

इससे पहले चोडणकर ने RRP इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की थी, जो महाराष्ट्र में आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग यूनिट लगाने की योजना से जुड़ी थी. इसी कनेक्शन ने लिस्टेड कंपनी को चिप बूम से जोड़ने वाली कहानी को और मजबूती दी.

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बड़े नाम जुड़े, लेकिन कोई सीधा रिश्ता नहीं

सितंबर 2024 में सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए, जिनमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर नवी मुंबई में RRP इलेक्ट्रॉनिक्स की यूनिट के एक कार्यक्रम में नजर आए. हालांकि बाद में कंपनी ने साफ किया कि उसका किसी भी सेलिब्रिटी के साथ कोई कमर्शियल समझौता नहीं है और अभी तक उसने कोई सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं की है.

कमजोर फाइनेंशियल स्थिति

कंपनी के फाइनेंशियल आंकड़े निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं. सितंबर तिमाही में RRP ने 68.2 करोड़ रुपये का नेगेटिव रेवेन्यू और 71.5 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया. यह नेगेटिव रेवेन्यू 440 करोड़ रुपये के एक बड़े ऑर्डर के कैंसिल होने की वजह से हुआ, जिसे पहले बुक किया गया था लेकिन बाद में कॉन्ट्रैक्ट विवाद के चलते वापस लेना पड़ा.

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प्रमोटर्स के पास लगभग पूरी हिस्सेदारी

एक और बड़ी चिंता कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न है. करीब 98 प्रतिशत शेयर प्रमोटर राजेंद्र चोडणकर और उनके करीबी लोगों के पास हैं. बाजार में शेयरों की सीमित उपलब्धता के कारण कीमतों में असामान्य उतार-चढ़ाव होना आसान हो जाता है.

निवेशकों के लिए सबक

AI और सेमीकंडक्टर सेक्टर का भविष्य भले ही उज्ज्वल दिखता हो, लेकिन RRP सेमीकंडक्टर का मामला बताता है कि AI टैग वाला हर स्टॉक सुरक्षित निवेश नहीं होता. जैसे-जैसे रेगुलेटरी जांच तेज हो रही है और AI का क्रेज थोड़ा ठंडा पड़ रहा है, ऐसे स्टॉक्स में जोखिम और भी बढ़ सकता है.

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