Indian Army Air Strike Video: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया है। ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) चला कर भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया। भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक में 100 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं। 25 मिनट के भीतर 9 ठिकाने तबाह किए गए हैं। इस कार्रवाई में भारत के मोस्ट आतंकी मसूद अजहर के परिवार के करीब 10 लोगों का भी खात्मा हो गया है। भारतीय सेना कार्रवाई का सबूत मांगने वालों को भी जवाब दिया है। भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक का वीडिय़ो जारी किया है। इस वीडियो में आतंकी संगठनों को मिट्टी में मिलते और जमींदोज होते हुए साफ देखा जा सकता है।
बता दें कि इससे पहले भारतीय सेना ने ऊरी आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और वर्ष 2029 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद पीओके में एयर स्ट्राइक की थी। उस वक्त इस पर जमकर राजनीति हुई थी। देश की विपक्षी पार्टियों ने सेना की कार्रवाई का सबूत तक मांग लिया था। वहीं इस बार भारतीय सेना ने कार्रवाई का वीडियो जारी करते हुए सबूत मांगने वालों को भी तगड़ा जवाब दिया है।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि रात 1:05 बजे और 1:30 बजे के बीच ऑपरेशन हुआ। 25 मिनट में पाकिस्तान और पीओके में 9 टारगेट पहचाने गए थे। इन्हें हमने तबाह कर दिया। लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स टारगेट किए गए।
इन 9 आतंकी ठिकानों को बनाया गया निशाना
- पीओके में मुजफ्फराबाद स्थित लश्कर के सवाई नाला ट्रेनिंग सेंटर को सबसे पहले निशान बनाया गया। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली थी।
- मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल कैंप। यहां हथियार, विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती थी।
- कोटली का लश्कर का गुरपुर कैंप। पूंछ में 2023 में श्रद्धालुओं पर हमला करने वाले आतंकी यहीं ट्रेंड हुए थे।
- भिम्बर का बरनाला कैंप। यहां हथियार चलाना सिखाया जाता है।
- कोटली का अब्बास कैंप। यह एलओसी से 13 किमी दूर है। यहां फिदायीन तैयार होते हैं।
- सियालकोट का सरजल कैंप। मार्च 2025 में पुलिस जवानों की हत्या के आतंकवादियों को यहीं ट्रेन किया गया था।
- सियालकोट का हिजबुल महमूना जाया कैंप। पठानकोट हमला यहीं प्लान किया गया।
- मुरीदके का मरकज तैयबा कैंप। अजमल कसाब और डेविड कोलमैन हेडली यहीं ट्रेन हुए थे।।
- मस्जिद सुभान अल्लाह बहावलपुर जैश का हेडक्वार्टर था। यहां रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग दी जाती थी। बड़े अफसर यहां आते थे।
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