statue of Chhatrapati Shivaji: भारतीय सेना (Indian Army) ने LAC (China–India border) से लगे पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे 14,300 फीट की ऊंचाई पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की मूर्ति स्थापित की है. भारतीय सेना से चीन से लंबे समय से जारी तनाव के बीच LAC के निकट यह मूर्ति लगाई है. शिवाजी की मूर्ति चीना सीमा पर भारतीय सेना को साहस प्रदान करेगा. मूर्ति अनावरण पर सेना ने कहा इसका उद्देश्य छत्रपति शिवाजी के अडिग साहस को समर्पित करने लगाई गई है उनकी ऐतिहासिक धरोहर प्रेरणा का स्त्रोत है.

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छत्रपति शिवाजी की मूर्ति का उद्घाटन ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और चीन ने डेमचोक और देपसांग के दो बिंदुओं समझौते के बाद सेना हटाने के फैसला लिया है. समझौते के बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है. ऐसे में ये कदम सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है.

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चीन से हुए समझौते का सीमा पर दिखा असर

दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था. सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी.

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भारतीय संस्कृति और सैन्य विरासत होगा मजबूत

इस मूर्ति की स्थापना भारतीय सेना के संकल्प और छत्रपति शिवाजी की प्रेरणा को दर्शाती है. भारतीय सेना ने इस मूर्ति के माध्यम से न केवल छत्रपति शिवाजी की ऐतिहासिक धरोहर को सम्मान दिया है बल्कि उनकी सैन्य रणनीतियों और अदम्य साहस को आज के सैन्य क्षेत्र में समाहित करने का प्रयास किया है. ये मूर्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए शिवाजी के विचारों और देशभक्ति का प्रतीक बनी रहेगी. अपनी अद्भुत सुंदरता और सामरिक महत्व के लिए मशहूर पैंगोंग त्सो अब महान राजा को समर्पित इस स्मारकीय श्रद्धांजलि का घर बन गया है. ऊंचाई पर स्थित यह प्रतिमा देश के गौरव और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की ताकत को दर्शाती है, खासकर उत्तरी सीमा के चुनौतीपूर्ण इलाकों में भारत की सांस्कृतिक और सैन्य विरासत के मानचित्र पर इस क्षेत्र का महत्व और अधिक मजबूत होगा.

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