रूसी सेना में भारतीयों के शामिल होने की खबरें लगातार सामने आती रही हैं। इस मामले में विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच रूसी सेना में काम कर रहे 44 भारतीय नागरिकों की पहचान की गई है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने इन लोगों की रिहाई और इस तरह की भर्ती को खत्म करने के लिए रूसी अधिकारियों के साथ एक बार फिर यह मामला उठाया है।
प्रभावित परिवारों के संपर्क में मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत रूसी अधिकारियों और प्रभावित परिवारों दोनों के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया है। हमने इस मामले को रूसी अधिकारियों के सामने उठाया है, और उनसे जल्द से जल्द इन लोगों को रिहा करने और इस प्रथा को खत्म करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार, अभी 44 भारतीय नागरिक रूसी सेना में काम कर रहे हैं।
‘रूसी सेना वाले ऑफर से दूर रहें’
जायसवाल से रूसी सेना में शामिल होने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या और क्या उनकी भर्ती के लिए ज़िम्मेदार एजेंटों की पहचान को लेकर सवाल पूछा गया। इस पर जायसवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में शामिल होने के ऑफर स्वीकार न करने की भी चेतावनी दी और उन्हें जानलेवा बताया।
जायसवाल ने कहा कि हम एक बार फिर इस मौके का फायदा उठाकर सभी से अपील करते हैं कि वे रूसी सेना में शामिल होने के ऑफर से दूर रहें। ऐसे ऑफर बहुत खतरनाक हैं और इनमें जान को बहुत ज़्यादा खतरा है।
पीड़ित परिवार ने की थी सरकार से दखल की मांग
जायसवाल ने कहा कि सरकार परिवारों को रेगुलर अपडेट दे रही है और प्रभावित लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मॉस्को के साथ कोऑर्डिनेट कर रही है। यह बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर में भारत की तय यात्रा से पहले और कई भारतीय युवाओं के परिवारों द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने के कुछ दिनों बाद आया है। इन परिवारों में से कई का अपने रिश्तेदारों से संपर्क टूट गया था, और उन्होंने उन्हें सुरक्षित वापस लाने के लिए सरकार से दखल देने की मांग की थी।
यह मामला तब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया जब ऐसी रिपोर्ट्स सामने आईं कि भारतीय युवाओं को नौकरी या स्टडी वीजा के बहाने रूसी सेना में शामिल होने के लिए धोखा दिया जा रहा है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्यों के परिवारों ने दावा किया है कि उनके रिश्तेदारों को ‘हेल्पर’ या ‘सपोर्ट स्टाफ’ के तौर पर भर्ती होने के लिए मजबूर किया गया या गुमराह किया गया और बाद में उन्हें फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया।
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