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नई दिल्ली। स्पर्म फ्रीजिंग अब भारतीय पुरुषों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनता जा रहा है. यह तकनीक भविष्य में संभावित इनफर्टिलिटी से बचाव का अवसर देती है. खासकर उन पुरुषों के लिए जो व्यस्त जीवनशैली और उच्च जोखिम वाले पेशों में कार्य करने के अलावा कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज से गुजर रहे हैं.
विशेषज्ञों का दावा है कि भारत में 25-30% इनफर्टिलिटी के मामले पुरुषों से जुड़े होते हैं. इसके पीछे देर से शादी, मोटापा, खराब जीवनशैली, प्रदूषण, तनाव और धूम्रपान जैसे कारक प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. ऐसे में स्पर्म को फ्रीज करना एक सुविधाजनक विकल्प बन गया है.
इसके अलावा स्पर्म फ्रीजिंग की लागत और उपलब्धता की सहजता की वजह से बड़े वर्ग की पहुंच में आ गया है. भारत में स्पर्म के सैंपल कलेक्शन व इससे जुड़ी प्रक्रियाओं की लागत 10-15 हजार रुपए है. वहीं, स्पर्म फ्रीज कराने की लागत 8-10 हजार रुपए प्रति वर्ष है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह लागत 50 हजार से एक लाख रुपए सालाना तक है. भारत में 20 साल तक स्पर्म को सुरक्षित रखने की सुविधा दी जा रही है.
महिलाएं भी नहीं पीछे
करिअर और स्वास्थ्य समस्याएं बड़ी वजह एग फ्रीजिंग भी भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसे मेडिकल भाषा में ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन कहा जाता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के अंडाणुओं को निकालकर बेहद कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है. बाद में, जब महिला गर्भधारण करना चाहती है, तो इन संरक्षित अंडाणुओं को डीफ्रीज कर आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए गर्भधारण कराया जाता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में महिलाएं करिअर, स्वास्थ्य समस्याएं और देर से शादी के चलते एग फ्रीजिंग को प्राथमिकता दे रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, एग फ्रीज करने से बायोलॉजिकल क्लॉक से आजादी मिलती है. दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ अंडाणुओं की गुणवत्ता घटती है. एग फ्रीजिंग इस समस्या को रोकने में मदद करता है. हालांकि, इसका खर्च स्पर्म फ्रीजिंग के मुकाबले महंगा है.