Canada New PM Anita Anand: 11 साल के शासनकाल के बाद कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने सोमवार (6 जनवरी) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। देश को दिए अपने संबोधन में ट्रूडो ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया। उन्होंने अपनी सरकार और व्यक्तिगत आलोचनाओं के बीच उन्होंने यह फैसला लिया है। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनके उत्तराधिकारी की तलाश भी तेज हो गई है। कनाडा के अगले प्रधानमंत्री की रेस में अनीता आनंद, जॉर्ज चहल (george chahal), पियरे पोलीवरे, क्रिस्टिया फ्रीलैंड (Chrystia Freeland) और मार्क कार्नी जैसे प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं। इन सबमें सबसे प्रबल दावेदार भारतवंशी अनीता आनंद मानी जा रही है। साथ ही अनीता आनंद के अलावा एक और भारतीय मूल के जॉर्ज चहल भी रेस में शामिल है।
भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद अपने प्रभावशाली शासन और सार्वजनिक सेवा के अच्छे रिकॉर्ड के कारण सबसे मजबूत दावेदारों में एक मानी जा रही हैं। अगर अनीता आनंद कनाडा की पीएम बनती है तो उम्मीद की जा सकती है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ फिर से अच्छे हो सकते हैं, जो ट्रूडो के वक्त अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई थी।
लिबरल पार्टी के भीतर अगले प्रधानमंत्री को लेकर दावेदारी की दौड़ तेज हो गई है। इसके लिए संसद के सत्र को 27 जनवरी से 24 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है, ताकि लिबरल पार्टी के पास अपने नए नेता का चुनाव करने का समय मिल सके।
अनीता आनंद परिवहन और आंतरिक मंत्री
भारतीय मूल की अनीता आनंद जस्टिन ट्रूडो की जगह लेने की प्रबल दावेदार हैं। 57 वर्षीय अनीता आनंद मौजूदा वक्त में देश की परिवहन और आंतरिक मंत्री हैं। अपनी शैक्षणिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण वह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती के रूप में उभरी हैं। अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीतिक अध्ययन में स्नातक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में स्नातक, डलहौजी विश्वविद्यालय से विधि स्नातक, और टोरंटो विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की पढ़ाई की है। इसके अलावा, उन्होंने येल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी, और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाया है। राजनीति में प्रवेश करने से पहले, वह टोरंटो विश्वविद्यालय में विधि की प्रोफेसर थीं।
भारतीय चिकित्सक दंपती की बेटी हैं अनिता
अनीता आनंद का जन्म नोवा स्कोटिया के केंटविले में हुआ था। अनीता के माता-पिता का भारत के तमिलनाडु और पंजाब से ताल्लुक है। उनके माता-पिता, सरोज डी. राम और एस.वी. (एंडी) आनंद, दोनों भारतीय चिकित्सक थे। उनकी दो बहनें, गीता और सोनिया आनंद, भी अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हैं। अनीता आनंद ने 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और तब से लिबरल पार्टी की सबसे महत्वाकांक्षी सदस्यों में से एक बन गई थी। उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्हें वैक्सीन खरीदने के उनके प्रयासों के लिए सराहा गया। 2021 में, उन्हें कनाडा की रक्षा मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्रिस्टिया फ्रीलैंड
कनाडा की पूर्व वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री रहीं क्रिस्टिया फ्रीलैंड को लंबे समय तक जस्टिन ट्रूडो के समर्थक के तौर पर देखा गया है। हालांकि, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार के आने के बाद वित्तीय मामलों और कई योजनाओं को लेकर उनकी जस्टिस ट्रूडो से अनबन की खबरें सामने आईं। इसी के चलते उन्होंने अपने पद छोड़ दिए। माना जा रहा है कि ट्रूडो के इस्तीफा देने की स्थिति में लिबरल पार्टी उन्हें पीएम पद के लिए आगे कर सकती है। भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्रा आर्या ने भी फ्रीलैंड को ट्रूडो का उत्तराधिकारी करार दिया है।
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जॉर्ज चहल भी रेस में
भारतीय मूल के एक और नेता अल्बर्टा के लिबरल सांसद जॉर्ज चहल भी कनाडा के पीएम बन सकते हैं। चहल ने पिछले हफ्ते अपने कॉकस सहयोगियों को एक पत्र लिखकर यह अनुरोध भी किया है। एक वकील और कम्युनिटी लीडर के तौर पर चहल ने कैलगरी सिटी काउंसलर के रूप में विभिन्न समितियों में काम किया है। वह प्राकृतिक संसाधन संबंधी स्थायी समिति और सिख कॉकस के अध्यक्ष भी हैं। चहल हालिया समय में ट्रूडो की आलोचना करते रहे हैं। अगर चहल को अंतरिम नेता चुना जाता है, तो वे पीएम की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। क्योंकि कनाडा के नियमों के मुताबिक अंतरिम नेता प्रधानमंत्री पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।
डॉमिनिक लीब्लांक
लिबरल सरकार में ही कैबिनेट मंत्री डॉमिनिक लीब्लांक उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जो कि मुश्किलों के बावजूद डटकर उनके साथ खड़े हैं। ऐसे में ट्रूडो के समर्थन में खड़े लिबरल पार्टी के नेता अगले प्रधानमंत्री के लिए लीब्लांक का समर्थन कर सकते हैं। एक वकील और नेता लीब्लांक फिलहाल मौजूदा सरकार में वित्त और अंतरविभागीय मंत्रालय की कमान संभाल रहे हैं। फ्रीलैंड के इस्तीफा देने के बाद उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें पिछले एक दशक में ट्रूडो सरकार में कई मंत्रीपद सौंपे जा चुके हैं।
ट्रूडो के शासनकाल में भारत-कनाडा के रिश्ते नाजुक दौरे में
बता दें कि ट्रूडो के शासनकाल में भारत-कनाडा के रिश्ते सबसे तल्ख और नाजुक दौर में रहा है। इससे पहले दोनों देशों के रिश्तों में ऐसी नौबत कभी नहीं आई थी। कनाडा में हुई खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका का झूठा आरोप ट्रूडो सरकार ने लगाया था। ट्रूडो सरकार मामले में कई सनसीखेज और गंभीर आरोप भारत पर लगाए। इसके बाद दोनों देशों की रिश्तों में खटास आ गई। कनाडाई सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस सबूत भी पेश नहीं किए. नतीजा ये हुआ कि पार्टी के अंदर ही ट्रूडो के रिश्ते अन्य नेताओं के साथ खराब होते चले गए। कई लोगों ने उनकी इस्तीफे की मांग कर दी।
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