भारतीय रेल के इतिहास में पूर्व मध्य रेल दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) मंडल ने लंबी लकीर खींची है, जो संभवत विश्व रिकॉर्ड की पुस्तकों में दर्ज की जा सकती है। इस मामले में डीडीयू मंडल ने माल ढुलाई की क्षमता और काम की कुशलता बढ़ाने की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि डीडीयू मंडल ने गंज ख्वाजा स्टेशन से पूरे भारतीय रेल में पहली बार छह खाली बॉक्स रैक को जोड़कर बनाई गई ‘रूद्रास्त्र‘ नाम की लंबी मालगाड़ी को सफलतापूर्वक चलाकर हासिल की है। यह मालगाड़ी करीब 4.5 किलोमीटर लंबी रही, जो अब तक भारतीय रेल की सबसे लंबी मालगाड़ी है।
रेल मंडल का दावा
डीडीयू मंडल के मंडल रेल प्रबंधक उदय सिंह मीना ने गुरूवार की शाम बताया कि सावन का यह महीना सावन शिव भक्ति का है। इसी वजह से भारतीय रेल में इतिहास रचने वाली इस मालगाड़ी को शिव के नाम पर ही ‘रूद्रास्त्र’ नाम दिया गया। इस ट्रेन को छह खाली बॉक्स रैक को जोड़कर तैयार किया गया, जिसमें कुल 354 वैगन शामिल हैं। इस मालगाड़ी को चलाने के लिए 07 इंजन लगाए गए। गंज ख्वाजा स्टेशन से सभी छह रेक को जोड़कर बनी ‘रुद्रास्त्र’ मालगाड़ी को दोपहर 2:20 बजे गढ़वा रोड के लिए रवाना किया गया। इसने औसत 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सफर किया और मालगाड़ी ने पूरा सफर करीब 5 घंटे में पूरा किया.
जानें रूद्रास्त्र मालगाड़ी की खासियत
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस मालगाड़ी की खासियत यह है कि इसमें एक साथ 6 खाली बॉक्सन रेक (अर्थात 6 मालगाड़ियां) को जोड़ा गया था. कुल 354 वैगन और 7 शक्तिशाली इंजनों से रूद्रास्त्र लैस थी और इसने पहले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर दौड़ लगाई और उसके बाद भारतीय रेलवे के सामान्य ट्रैक से गढ़वा रोड की ओर अपनी रफ्तार से बढ़ी.
डीडीयू मंडल, भारतीय रेलवे का अहम केंद्र है. यह केंद्र धनबाद मंडल को कोयला सहित अन्य माल ढुलाई में सहयोग करता है. यहां पर बड़े पैमाने पर मालगाड़ियों के डिब्बों की जांच और मरम्मत का काम होता है. यहां पहले डिब्बों की मरम्मत होती है और उसके बाद तैयार डिब्बों को जोड़कर ट्रेन को लोडिंग के लिए भेजा जाता है.
माल ढुलाई की क्षमता में इजाफा
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रूद्रास्त्र का संचालन माल ढुलाई क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है. इससे समय की बचत होगी और रेल मार्ग पर ट्रैफिक कम करने में मदद मिलेगी.
यदि इन 6 मालगाड़ियों को अलग-अलग चलाया जाता तो इसके लिए 6 अलग-अलग समय, चालक दल और रूट की आवश्यकता होती, जबकि इस प्रयोग ने एक बार में यह कार्य पूरा कर दिया. रेलवे ने उम्मीद जताई है कि इस तरह की सुपर लंबी मालगाड़ियों के संचालन से भविष्य में लॉजिस्टिक्स की रफ्तार और क्षमता दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.
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