Pamban Bridge Photos: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) रामनवमी (Ram Navami) के पावन अवसर पर आज तमिलनाडु के दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री रामनवमी के अवसर पर रामेश्वरम में बने देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट (Vertical Lift Bridge) समुद्री पुल (नए पंबन ब्रिज) (Pamban Bridge) का उद्घाटन करेंगे। भारतीय रेल (Indian Railways) ने इस नए रेलवे ब्रिज का एक सुंदर वीडियो जारी किया है। रेलवे मंत्रालय ने कहा कि समुद्र के ऊपर बना यह रेलवे ब्रिज अतीत और भविष्य को जोड़ता है। इसे राम नवमी के दिन जनता के सामने पेश किया जाएगा। तो चलिए नए पंबन ब्रिज की खासियत पर नजर डालते हैं और जानते हैं इसे क्यों कहा जा रहा भारत का पहला अनोखा ब्रिजः-
पंबन ब्रिज की आधारशिला मार्च 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने कन्याकुमारी में रखी थी। नवंबर 2019 से नए पंबन ब्रिज निर्माण शुरू हुआ था। मार्च 2023 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होना था. लेकिन कोरोना आने की वजह से इसमें थोड़ा समय लग गया।

इस पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण के अनुसार, भगवान राम की सेना ने राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के नजदीक धनुषकोडी से शुरू किया था। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि है।
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पंबन पुल… सिर्फ स्टील और कंक्रीट नहीं है। यह देश की इंजीनियरिंग के कमाल का बेहतरीन उदाहरण है। हमारी आस्था का पुल और भविष्य का रास्ता भी कहा जा सकता है। करीब 2.08 किमी लंबे ब्रिज की लागत 700 करोड़ रुपए से ज्यादा है। रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने वाला यह पुल वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में खड़ा है।

भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी-ब्रिज है, जो जहाजों को नीचे से गुजरने की सुविधा देता है। इसकी खासियत की बात करें तो इसकी लंबाई- 2.08 किलोमीटर है जबकि 18.3 मीटर के 99 स्पैन और 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है जो 17 मीटर की ऊंचाई तक उठता है। यह पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा है। इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकेंगे और निर्बाध ट्रेन संचालन की सुविधा मिलती है।

पंबन ब्रिज पर अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फिलहाल तय किया गया है। तेज हवाओं में भी ट्रैक्शन सिस्टम काम करेगा।

ब्रिज को मजबूत बनाने के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और वेल्डेड जोड़ का इस्तेमाल किया गया है। इससे इसकी ताकत और उम्र बढ़ गई है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था की गई है। समुद्री हवा से होने वाले जंग से बचाव के लिए इसमें खास पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है।
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पुराना ब्रिज 34 साल से अधिक समय में हुआ था तैयार
भारतीय रेलवे के अनुसार पुराने ब्रिज को तैयार होने में 34 साल से अधिक का समय लगा था। इस ब्रिज के निर्माण के प्रयास 1870 के दशक में ही शुरू हो गए थे। जब ब्रिटिश सरकार ने श्रीलंका तक व्यापार संपर्क बढ़ाने का फैसला किया था। लगभग 2.2 किलोमीटर लंबे और 143 खंभों वाले इस ब्रिज को 1914 में चालू किया गया था, जो मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा समुद्री पुल है।
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