Indian Researcher Badar Khan Suri: भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को अमेरिकी जिला न्यायालय ने रिहा कर दिया है। बदर खान सूरी को हमास (Hamas) के समर्थन आरोप में अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दो महीने तक भारतीय रिसर्चर को जंजीरों में बांधकर रखा गया। इस दौरान उनपर कई तरह से बर्बरता की गई है। अमेरिकी जिला न्यायालय के आदेश पर बुधवार (14 मई) को हिरासत से रिहा कर दिया। जेल से रिहा होने पर उनकी पत्नी काफी भावुक दिखीं। उन्होंने कहा कि दिल कर रहा, जज को गले लगा लूं।
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दरअसल बदर खान सूरी जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक पोस्टडॉक्टरल फेलो के तौर पर कार्यरत हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, उनके सोशल मीडिया पोस्ट और उनकी पत्नी मेफेज सालेह के गाज़ा कनेक्शन को आधार बनाकर उनका वीजा रद्द कर दिया था। उन्हें हिरासत में ले लिया था। बता दें कि हमास को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। प्रशासन ने आरोप लगाया कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट हमास के समर्थन में है।

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मार्च 2025 में वर्जीनिया से किया था गिरफ्तार
भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को मार्च 2025 में वर्जीनिया स्थित उनके घर से अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। सूरी को बिना किसी आधिकारिक आरोप के लगभग दो महीने तक टेक्सास के आव्रजन हिरासत केंद्र में बंद रखा गया। इस मामले में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका में राजनीतिक अभिव्यक्ति और प्रो-फिलिस्तीन समर्थन के नाम पर अधिकारों का हनन हो रहा है।
बदर खान सूरी ने पहली बार मीडिया से बात की
अमेरिकी जिला न्यायाधीश पेट्रीसिया टोलिवर जाइल्स ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सूरी द्वारा किया गया राजनीतिक भाषण प्रथम संशोधन के तहत संरक्षित है और इससे सार्वजनिक सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पहला संशोधन नागरिकों और गैर-नागरिकों में कोई भेद नहीं करता। हिरासत से रिहा होने के बाद बदर खान सूरी ने पहली बार मीडिया से बात की। उन्होंने कहा उन्हें जंजीरों में रखा गया, अमानवीय व्यवहार किया गया और गंदगी भरी जेल में दिन गुजारने पड़े। उन्होंने कहा, “पहले 7–8 दिनों तक मैं अपनी परछाई भी याद करता रहा। मुझे पूरी तरह जंजीरों में जकड़ दिया गया था।
सेंटर फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल राइट्स ने जारी किया बयान
सेंटर फॉर कॉन्स्टीट्यूशनल राइट्स ने बयान जारी करते हुए कहा, “यह मामला दिखाता है कि कैसे आव्रजन प्रवर्तन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसलिए और भी संवेदनशील बन गया है क्योंकि यह केवल एक व्यक्ति की हिरासत नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नस्लीय पूर्वग्रह और अमेरिकी आव्रजन नीतियों के दुरुपयोग का प्रतीक बन चुका है।
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पत्नी का क्या था हमास से संबंध
बदर खान सूरी के वकीलों का तर्क है कि ट्रंप प्रशासन के आरोप काफी हद तक उनकी पत्नी मफेज सालेह का बैकग्राउंड है। दरअसल, उनके पिता ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इजराइल पर हमले से काफी पहले गाजा में हमास से जुड़ी सरकार के लिए काम किया था।
जज ने मामले में क्या कहा?
अमेरिकी जिला जज पेट्रीसिया टॉलिवर जाइल्स ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अपने मजबूत संवैधानिक दावों और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए, बदर खान सूरी को बुधवार को रिहा करने का आदेश दिया। जज ने संविधान का हवाला देते हुए कहा, पहला संशोधन (First Amendment) नागरिकों और गैर-नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता है। हालांकि, इससे पहले भी अमेरिका ने और भी छात्रों को हमास से कथित कनेक्शन होने पर हिरासत में लिया था।
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