दिल्ली. देश की इकानमी के मोर्चे पर लंबे अरसे से अच्छी खबरें सुनने को नहीं मिल रही हैं. अब भारतीय करेंसी की हालत बाजार में खस्ता हो गई है.
भारतीय रुपये में इस तिमाही में काफी बड़ी कमजोरी दर्ज की जा सकती है. रुपया अब तक अपने उच्च्तम स्तर से करीब पांच फीसदी से भी ज्यादा टूट चुका है. जिसके चलते लोगों की जेब पर खास फर्क पड़ेगा. बैंकिंग कंपनियों के एक के बाद एक घोटालों और कर्ज संकट के चलते रुपये पर भीषण दबाव है. अगर रुपया और टूटता है तो देश में महंगाई नए स्तर को छू लेगी. जिससे आम आदमी के लिए काफी दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारत के लिए सबसे बड़ा जोखिम ग्रोथ में कमजोर है जिसके चलते रुपये पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. ऑटोमोबाइल बिक्री में गिरावट, एयर ट्रैफिक मूवमेंट में कमी, कोर सेक्टर ग्रोथ के घटने और कंस्ट्रक्शन व इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश घटने के कारण देश की जीडीपी ग्रोथ में कमी देखने को मिल रही है. जिसका सीधा असर रुपये पर भी पड़ रहा है.